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Sawan Purnima Vrat Katha 2025: सावन पूर्णिमा व्रत कथा को पढ़ने मात्र से मिलता है अखंड सौभाग्य, यहां देखें श्रावण पूर्णिमा कथा हिंदी में

Sawan Purnima Vrat Katha In Hindi (सावन पूर्णिमा व्रत कथा): एक साल में कुल 12 पूरणमासी होती है। सावन के महीने में आने वाली पूर्णिमा को श्रावण पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन पूजा-पाठ के साथ व्रत कथा भी पढ़ी जाती है। सावन पूर्णिमा की व्रत कथा यहां दी गई है।
सावन पूर्णिमा व्रत कथा 2025 (photo source: AI)

सावन पूर्णिमा व्रत कथा 2025 (photo source: AI)

Sawan Purnima Vrat Katha In Hindi (सावन पूर्णिमा व्रत कथा): सनातन परंपरा में श्रावण मास की पूर्णिमा का खास महत्व है। इस साल सावन की पूर्णिमा आज यानी 9 अगस्त को है। इस दिन रक्षाबंधन भी है। इस दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा की जाती है। वहीं, इस दिन स्नान और दान की भी खास महत्व होता है। इस दिन दान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। स्नान-दान के अलावा इस दिन व्रत भी रखी जाती है। ये व्रत बिना कथा के अधूरी मानी जाती है। यहां से आप सावन पूर्णिमा की व्रत कथा विस्तार में और हिंदी में पढ़ सकते हैं।

श्रावण पूर्णिमा व्रत कथा (Sawan Purnima Katha)

प्राचीन समय में एक नगर था। उसमें तुंगध्वज नाम का राजा राज्य करता था। उस राजा को शिकार करने का बहुत शौक था। एक दिन वो जंगल में शिकार करने गया और शिकार करते-करते जब वो बहुत थक गया तो वो थकान दूर करने के लिए एक बरगद के पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया। वहां उसने देखा कि कई सारे लोग साथ मिलकर सत्यनारायण भगवान की पूजा कर रहे हैं। राजा ने अपने अभिमान के कारण न ही भगवान को प्रणाम किया न वो कथा में गया और न ही उसने प्रसाद लिया। फिर वो अपने नगर वापस लौट गया।

नगर में आकर राजा ने देखा कि दूसरे राज्य के राजा ने उसके राज्य पर हमला कर दिया है। राज्य का ऐसा हालत देखकर राजा तुरंत समझ गया कि सत्यनारायण भगवान और उनके प्रसाद का निरादर करने से ऐसा हुआ है। अपनी गलती का आभास होने पर राजा दौड़कर वापस उसी जंगल में वापस गया जहां लोग भगवान सत्यनारायण की कथा कर रहे थे। वहां पहुंचकर राजा ने अपनी भूल के लिए माफी मांगी और प्रसाद मांगा।

सच्चे मन से पश्चाताप करते देख राजा को भगवान सत्यनारायण ने माफ कर दिया। जिसके फलस्वरूप राजा के राज्य में सबकुछ पहले जैसा हो गया। फिर राजा भगवान सत्यनारायण की अराधना करने लगा और भगवान सत्यनारायण की कृपा से ही राजा ने लम्बे समय तक राज्य संभाला। मान्यता है जो व्यक्ति भी सावन पूर्णिमा की कथा को पढ़ता या सुनता है उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। कहा जाता है कि यह कथा वाजपेय यज्ञ का फल देने वाली है।

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Srishti author

सृष्टि टाइम्स नाऊ हिंदी डिजिटल में फीचर डेस्क से जुड़ी हैं। सृष्टि बिहार के सिवान शहर से ताल्लुक रखती हैं। साहित्य, संगीत और फिल्मों में इनकी गहरी रूच...और देखें

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