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Facebook Poke:अरे तो जिंदा है, फेसबुक में फिर से आ रहा पोक करने वाला फीचर, आपको याद तो है ना

Facebook Poke: जब स्टेटस अपडेट का दौर नहीं था तब “पोक” का राज था। यह एक तरह का डिजिटल टैप था, जिसका मतलब सबकुछ भी हो सकता था और कुछ भी नहीं। समय के साथ मेटा (Meta) ने सोशल नेटवर्किंग से मेटावर्स और फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया, लेकिन अब वही पुराना “पोक” दोबारा वापसी कर रहा है।
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Facebook Poke/Photo-Facebook

Facebook Poke: एक दौर था जब हर कोई-ना-कोई, किसी-ना-किसी को फेसबुक पर Poke करता था। फिर इसके दिन लद गए लेकिन अब फिर से फेसबुक के Poke फीचर ने शानदार वापसी की है और वह भी नई डिजाइन और नए अवतार में। दूसरे शब्दों में जब स्टेटस अपडेट का दौर नहीं था तब “पोक” का राज था। यह एक तरह का डिजिटल टैप था, जिसका मतलब सबकुछ भी हो सकता था और कुछ भी नहीं। समय के साथ मेटा (Meta) ने सोशल नेटवर्किंग से मेटावर्स और फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया, लेकिन अब वही पुराना “पोक” दोबारा वापसी कर रहा है।

फेसबुक पर हो रही पोक की वापसी

जी हां, वही पोक। यह छोटा-सा डिजिटल इशारा, जिसे कभी मजाकिया, कभी फ्लर्टिंग और कभी-कभी थोड़ा अजीब भी माना जाता था। मेटा ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट शेयर करके बताया कि अब पोक को फेसबुक ऐप में फिर से यूजर प्रोफाइल पर अधिक दिखाई देने लायक बना दिया गया है। इसके लिए facebook.com/pokes नाम से एक पेज भी बनाया गया है, जहां आप अपने दोस्तों के साथ हुई पोकिंग एक्टिविटी देख सकते हैं और 2025 की नई ट्विस्ट यह है कि मेटा इसमें स्ट्रीक-स्टाइल मैकेनिक भी ला रहा है।

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अब अलग-अलग इमोजी इस आधार पर दिखेंगे कि कितनी बार पोक का आदान-प्रदान हुआ है, जिससे यह फीचर कुछ हद तक स्नैपचैट स्ट्रीक जैसा लगेगा।

जो लोग फेसबुक के शुरुआती दौर से नहीं जुड़े थे, उनके लिए बता दें कि उस समय पोक करना दूसरों से इंटरैक्ट करने का एक बड़ा लोकप्रिय तरीका था। आप किसी की वॉल पर लिख सकते थे, कमेंट कर सकते थे या फिर पोक भेज सकते थे। पोक का कोई बड़ा काम नहीं था, बस एक नोटिफिकेशन मिलता था, लेकिन यह जल्दी ही फेसबुक की संस्कृति का हिस्सा बन गया था। समय बीतने के साथ मेटा ने इसे धीरे-धीरे किनारे कर दिया और ज़्यादातर यूज़र इसे भूल ही गए।

पोक को मेटा ने कभी नहीं कहा अलविदा

मेटा ने इसे कभी पूरी तरह नहीं भुलाया। पिछले साल कंपनी ने बताया था कि पोकिंग “एक बार फिर ट्रेंड” में है, क्योंकि इसे सर्च बार में दिखाने के बाद इसके इस्तेमाल में 13 गुना बढ़ोतरी हुई थी। यही वजह है कि अब मेटा इसे और बड़े पैमाने पर वापसी दिलाने की कोशिश कर रहा है, शायद इस उम्मीद में कि युवा यूज़र इसे स्नैपचैट स्ट्रीक्स की तरह अपनाएंगे।

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यह कदम मार्क जुकरबर्ग की उस रणनीति से भी मेल खाता है, जिसमें वे फेसबुक के पुराने “OG फीचर्स” को दोबारा लाने की बात कर रहे हैं। इस साल की शुरुआत में उन्होंने कहा था कि वे यूज़र्स को उनके असली दोस्तों का कंटेंट ज्यादा दिखाना चाहते हैं, क्योंकि आजकल फेसबुक पर एल्गोरिथ्म-ड्रिवन पोस्ट की भरमार हो गई है। और इससे ज़्यादा “ओजी फेसबुक” फीचर और क्या होगा पोक।

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