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विकसित भारत बनने की दिशा में कदम, वर्ल्ड क्लास बनेंगे 2 बैंक, सरकार का ये है प्लान

Indian Global Banks: सरकार ने भारत को विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए दो ऐसे विश्व-स्तरीय बैंकों की स्थापना का लक्ष्य रखा है, जिनकी एसेट्स इतनी हों कि वे दुनिया के टॉप 20 बैंकों में शामिल हो सकें। इसका उद्देश्य भारतीय बैंकों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना और देश की आर्थिक शक्ति को बढ़ाना है।
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विकसित भारत की नई दस्तक, दो इंटरनेशनल लेवल के बैंक बनाने पर विचार (तस्वीर-istock)

Indian Global Banks : भारत को विकसित राष्ट्र बनने के लिए भारत सरकार ने एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। देश में दो ऐसे विश्व-स्तरीय बैंकों की स्थापना करना, जिनकी परिसंपत्तियां (assets) इतनी हों कि वे दुनिया के टॉप 20 बैंकों की लिस्ट में शामिल हो सकें। यह जानकारी एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को दी। न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक यह चर्चा वित्तीय सेवाएं विभाग (DFS) द्वारा आयोजित ‘पीएसबी मंथन 2025’ नाम की एक बैठक के पहले दिन हुई। इस बैठक में मुख्य रूप से इस बात पर चर्चा की गई कि कैसे भारत के बैंक वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं।

फिलहाल भारत के बैंकों की ग्लोबल स्थिति

  • भारतीय स्टेट बैंक (SBI) – दुनिया के सबसे बड़े बैंकों की सूची में 43वें स्थान पर है।
  • एचडीएफसी बैंक (निजी क्षेत्र) – 73वें स्थान पर है।
अधिकारियों का कहना है कि भारत के कम-से-कम दो बैंक स्वाभाविक रूप से इतने मजबूत बनें कि वे दुनिया के टॉप 20 बैंकों में जगह बना सकें।

सरकारी बैंकों के विलय पर नहीं हुई कोई चर्चा

न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक जब अधिकारी से पूछा गया कि क्या इस लक्ष्य को पाने के लिए सरकारी बैंकों का विलय (merger) किया जाएगा, तो उन्होंने इस पर स्पष्ट रूप से इनकार किया। यानी अभी ऐसी कोई योजना नहीं है।

बैठक में शामिल हुए ये प्रमुख अधिकारी

इस उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता DFS सचिव एम नागराजू ने की। बैठक में कई प्रमुख अधिकारी और बैंक प्रमुख शामिल हुए, जिनमें एसबीआई चेयरमैन सी. एस. शेट्टी, पंजाब नेशनल बैंक के सीईओ अशोक चंद्रा, मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन, RBI के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे, पूर्व DFS सचिव और IRDA के पूर्व प्रमुख देबाशीष पांडा शामिल थे।

इन अहम मुद्दों पर हुई चर्चा

बैठक में भारतीय बैंकों की मजबूती और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए बैंकों की स्वायत्तता (autonomy) बढ़ाना, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की भूमिका को सशक्त बनाना, एनपीए (Non-Performing Assets) कम करना, तकनीकी और साइबर सुरक्षा से निपटना, ग्राहक सेवा और शिकायत समाधान को बेहतर बनाने के मुद्दों पर चर्चा की गई।

वैश्विक स्तर पर पहुंचने के लिए जरूरी सुधार

अधिकारियों का कहना है कि अगर भारतीय सरकारी बैंक दुनिया में प्रासंगिकता हासिल करना चाहते हैं, तो उन्हें विविध प्रकार के बैंकिंग कार्यों में विशेषज्ञता हासिल करनी होगी। सेवा की गुणवत्ता और तकनीकी क्षमता को लगातार सुधारना होगा।

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रामानुज सिंह author

रामानुज सिंह टाइम्स नाऊ नवभारत डिजिटल में बिजनेस डेस्क के इंचार्ज हैं। यहां वे असिस्टेंट एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। वो बिहार के खगड़िया जिले के र...और देखें

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