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Supreme Court के आदेश पर बनी SIT की जांच पर Vantara का बयान, 'जांच में पूरा सहयोग करेंगे'

वंतारा सेंटर ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित SIT जांच में पूरी तरह से सहयोग का आश्वासन दिया है। संस्था का कहना है कि वह पारदर्शिता और कानून के पालन के प्रति प्रतिबद्ध है तथा पशु कल्याण को सर्वोपरि रखेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कल ही हाथियों की अवैध प्राप्ति समेत गंभीर आरोपों की जांच के लिए पूर्व न्यायाधीश जे. चेलमेश्वर की अध्यक्षता में SIT बनाई है।
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वंतारा ने जांच में पूरे सहयोग की बात कही (Photo - https://vantarajamnagar.in/)

गुजरात के जामनगर स्थित ग्रीन जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर 'Vantara' ने आज यानी मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बयानी जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश के बाद वंतारा की तरफ से आधिकारिक बयान जारी किया है, जिसमें एक विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का आदेश दिया गया है। वंतारा ने स्पष्ट किया कि वह पूरी तरह से कानून का पालन करते हुए जांच में हर संभव मदद करेगा

वंतारा ने क्या कहा?

वंतारा ने अपने बयान में कहा, 'हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सर्वोच्च सम्मान करते हैं। वंतारा पारदर्शिता, करुणा और कानून के अनुपालन के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हमारा मिशन हमेशा से ही पशुओं के बचाव, पुनर्वास और देखभाल पर केंद्रित रहा है और आगे भी रहेगा। हम एसआईटी के साथ पूरी तरह से सहयोग करेंगे और पशु कल्याण को अपने हर प्रयास के केंद्र में रखेंगे।'

संस्था ने यह भी आग्रह किया कि जांच प्रक्रिया बिना किसी अटकल के, निष्पक्ष रूप से और उन पशुओं के सर्वोत्तम हित में आगे बढ़े जिनकी सेवा वंतारा करता है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या निर्देश दिया

बता दें कि कल यानी सोमवार 25 अगस्त को ही सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यीय SIT का गठन किया था। SIT वंतारा के खिलाफ लगाए गए आरोपों की तथ्यात्मक जांच करेगी, जिनमें कानून के उल्लंघन और भारत व विदेश से विशेष रूप से हाथियों की अवैध प्राप्ति के आरोप भी शामिल हैं।

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न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और पीबी वराले की पीठ ने यह SIT गठित की, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जे. चेलमेश्वर करेंगे। इस टीम में सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राघवेन्द्र चौहान (पूर्व मुख्य न्यायाधीश, उत्तराखंड व तेलंगाना हाईकोर्ट), मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त हेमंत नगराले और पूर्व आईआरएस अधिकारी अनिश गुप्ता भी शामिल होंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाओं में लगाए गए गंभीर आरोपों की व्यापकता को देखते हुए सिर्फ प्रतिवादी पक्ष से जवाब मंगवाना पर्याप्त नहीं होता। सामान्य परिस्थितियों में बिना ठोस सुबूतों वाली ऐसी याचिकाओं को खारिज कर दिया जाता, लेकिन इस मामले में न्यायहित में स्वतंत्र जांच जरूरी है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब यह आशंका हो कि वैधानिक प्राधिकरण या अदालतें अपने दायित्व को पूरा करने में सक्षम या इच्छुक नहीं हैं, तब न्याय के लिए स्वतंत्र तथ्यात्मक मूल्यांकन जरूरी हो जाता है। इसलिए एक SIT गठित की गई है, जो निष्पक्ष रूप से सच्चाई सामने लाएगी।

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Digpal Singh author

साल 2006 से पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं। शुरुआत में हिंदुस्तान, अमर उजाला और दैनिक जागरण जैसे अखबारों में फ्रीलांस करने के बाद स्थानीय अखबारों और मै...और देखें

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