Engineers Day 2025: कौन थे सर एम. विश्वेश्वरैया, ब्रिटिशर्स भी थे जिनके मुरीद, देशभक्ति की मिसाल रही है पूरी जिंदगी

sir m vishweshwaraiah (Twitter)
Engineers Day 2025: काम ऐसा करो कि पहचान बन जाए और पहचान ऐसी हो कि काम मिसाल बन जाए... वाकई इंसान की पहचान उसके काम से ही होती है और इस बात को स्पष्ट तौर पर बताने वाली ये लाइनें कही थीं सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने। वही विश्वेश्वरैया जिन्हें साल 1955 में भारत के सर्वोच्च भारत रत्न सम्मान से नवाजा गया था। आज उन्हें पूरी दुनिया एक महान राजनेता, महान इंजीनियर और वैज्ञानिक के रूप में जानती है। और उन्हीं के जन्मदिन यानी 15 सितंबर को हर साल इंजीनियर दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
विश्वेश्वरैया को उनकी ईमानदारी, समर्पण और उत्कृष्टता के लिए भी जाना जाता रहा है और यही सब बातें उनकी कही बातों में साफ तौर से झलकती हैं। सर एम. विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक के चिक्काबल्लापुर जिले में हुआ था। वे एक सिविल इंजीनियर, योजनाकार, राजनेता और समाज सुधारक थे। उन्होंने ही भारतीय इंजीनियरिंग को एक नई दिशा देने का काम किया। उनकी पूरी जिंदगी अनुशासन और देशभक्ति की मिसाल रही है। अपनी जिंदगी में उन्होंने कई सारी ऐसी बातें कहीं, जो देश के नौजवानों के लिए मिसाल बने।
सर एम. विश्वेश्वरैया के प्रमुख कथन-
- सपने वो नहीं, जो नींद में आएं, सपने वो हैं जो नींद ही नहीं आने दें। सर विश्वेश्वरैया का जीवन इसी सोच की एक मिसाल था।
- कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, अगर उसे ईमानदारी और उत्कृष्टता से किया जाए।
- काम ही पूजा है। ये वाक्य उनका जीवन दर्शन था क्योंकि उन्होंने अपने हर काम को पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ किया।
- औद्योगीकरण करो या नष्ट हो जाओ। (उनका मानना था कि बिना तकनीकी और औद्योगिक प्रगति के कोई भी राष्ट्र आगे नहीं बढ़ सकता।)
- अगर तुम्हारा काम झाड़ू लगाने का भी है तो उसे ऐसे करो कि दुनिया में सबसे अच्छा वही लगे।
- शिक्षा ही सभी प्रकार की प्रगति की जननी है।
सर एम. विश्वेश्वरैया की जिंदगी पर उनके ये सभी कथन पूरी तरह से सटीक बैठते हैं। उनका मानना था कि आप जो भी काम कर रहे हैं, उसे अच्छी तरह से पूरे अनुशासन के साथ करें। आधुनिक भारत के निर्माण में सर विश्वेश्वरैया ने अपना अहम योगदान दिया है, जिसमें कृष्णराज सागर डैम, हैदराबाद में बाढ़ नियंत्रण योजना और स्वचालित स्लुएस गेट्स के आविष्कार का श्रेय उन्हें दिया जाता है। बताते चलें कि वे मैसूर राज्य के दीवान (मुख्यमंत्री) भी रह चुके हैं और उन्होंने सार्वजनिक शिक्षा, रेलवे विस्तार और औद्योगिक विकास को मजबूती से बढ़ावा दिया।
भारत रत्न से किया गया सम्मानित
साल 1955 में भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया था। ये सम्मान उन्हें इंजीनियरिंग, शिक्षा और राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिये मिला। इसके अलावा उन्हें ब्रिटिश सरकार की ओर से उन्हें Knight Commander of the order of the Indian Empire (KCIE) की उपाधि दी गई, जिसके बाद से सम्मान के तौर पर उनके नाम के आगे सर जुड़ गया।
इसके साथ ही उन्हें एक लोकप्रिय उपाधि भी मिली है, जो उन्हें भारतीय इंजीनियरिंग का पितामह मानते हुए दी जाती है। ये कोई ऑफिशियल उपाधि नहीं है मगर टेक्निकल फील्ड में बेहद सम्मान के साथ प्रयोग की जाती है। वे साल 1912 से लेकर 1918 तक मैसूर के दीवान रहे थे। विश्वेश्वरैया की शुरुआती पढ़ाई चिक्काबल्लापुर से हुई और बाद में वे बैंगलोर चले गए। साल 1881 में बैंगलोर के एक कॉलेज से उन्होंने बीए की डिग्री ली और फिर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए पुणे चले गए। उन्होंने कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर उसके बाद बॉम्बे में पीडब्ल्यूडी के साथ जुड़ गए।
ट्रेन वाला किस्सा है मशहूर
सर विश्वेश्वरैया से जुड़ा एक किस्सा बहुत मशहूर है। कहते हैं एक बार भरी हुई ट्रेन कहीं जा रही है और उसमें कई सारे यात्री जो सवार थे वो अंग्रेज थे। उसी ट्रेन में एक भारतीय शख्स बैठा था और अंग्रेज यात्री उसका खूब मजाक उड़ा रहे थे। हालांकि वो किसी का जवाब नहीं दे रहा था। मगर तभी वो अचानक उठा और उसने ट्रेन की जंजीर खींच दी। इससे ट्रेन रुक गई। तभी सभी यात्री उसे बुरा कहने लगे।
इसके कुछ ही समय बाद ट्रेन गार्ड की एंट्री हुई और उस शख्स से पूछा कि उसने ऐसा क्यों किया। इसके बाद शख्स ने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि आगे ट्रेन की पटरी टूटी हुई है। इसपर गार्ड ने कहा कि आपको कैसे पता। तो शख्स ने कहा कि ट्रेन की स्पीड में फर्क और आवाज से मुझे ऐसा लगा। इसके बाद जब जांच की गई तो वाकई पता चला कि कुछ दूरी पर पटरी टूटी हुई है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। एजुकेशन (Education News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

SBI Clerk Prelims Admit Card 2025 LIVE: एसबीआई क्लर्क प्रीलिम्स परीक्षा का एडमिट कार्ड, इस लिंक से डायरेक्ट कर सकेंगे डाउनलोड

Engineers Day 2025: इंजीनियर्स डे 2025 की थीम क्या है? भारत के महान इंजीनियरों पर आधारित सामान्य ज्ञान के 10 सवाल

ब्लूमून 10.0: बेनेट यूनिवर्सिटी के फ्रेशर्स गाला में म्यूजिक, मस्ती और शानदार परफॉर्मेंस से मचा धमाल

हिंदी को बुकर की विजय श्री दिलाने वाली गीतांजलि श्री, जिनकी बदौलत लंदन में चमकी भारतीयों के माथे की “बिंदी”

IB ACIO Admit Card 2025 Released: जारी हुआ आईबी एसीआईओ भर्ती परीक्षा का एडमिट कार्ड, mha.gov.in पर करें डाउनलोड
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited