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Operation Sindoor पर चर्चा के दौरान बोले राजनाथ सिंह, 'पेंसिल टूटने पर ध्यान नहीं देना चाहिए, एग्जाम का रिजल्ट मायने रखता है'

पहलगाम आतंकी हमले और Operation Sindoor पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विस्तान से संसद में अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने विपक्ष की तरफ से उठाए जाने वाले प्रश्नों का जवाब भी दिया और साथ ही कहा कि एग्जाम में रिजल्ट मायने रखता है, यह नहीं देखना चाहिए कि कितनी पेंसिल टूट गई।
Rajnath Singh ANI.

संसद में राजनाथ सिंह ने विपक्ष के सवालों का दिया जवाब (फोटो - ANI)

पहलगाम आतंकी हमले और Operation Sindoor पर आज यानी सोमवार 28 जुलाई को संसद में बहस शुरू हो गई। जब से भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों के खिलाफ यह अभियान चलाया, तभी से विपक्ष इस ऑपरेशन को लेकर संसद में बहस की मांग कर रहा है। आखिर आज संसद में इस मुद्दे पर बहस शुरू हो गई। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर की बारीकियों को एक-एक कर सामने रखा। उन्होंने इस दौरान विपक्ष को यह भी बताया कि आपके प्रश्न गलत हैं और साथ ही यह भी सुझाया कि उन्हें क्या प्रश्न पूछने चाहिए। इस दौरान उन्होंने पेंसिल टूटने का उदाहरण भी दिया। चलिए जानते हैं -

विपक्ष जिन प्रश्नों को लगातार उठाता रहा है, राजनाथ सिंह ने उनका जवाब दिया और साथ ही कहा, 'जब लक्ष्य बड़े हों तो अपेक्षाकृत छोटे मुद्दों पर हमारा ध्यान नहीं जाना चाहिए। क्योंकि छोटे मुद्दों पर ध्यान देते रहने से देश की सुरक्षा, सैनिकों के सम्मान और उत्साह जैसे बड़े मुद्दों से ध्यान हट सकता है। जैसा कि विपक्ष के हमारे कुछ साथियों के साथ हो रहा है।'

शेर है भारतीय सेना

रक्षामंत्री ने गोस्वामी तुलसीदास का नाम लेकर उनकी नीति का जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'गोस्वामी तुलसीदासजी कहते हैं कि युद्ध और प्रेम बराबरी वालों से ही कहना चाहिए। शेर अगर मेंढकों को मारे तो उसका बहुत अच्छा संदेश नहीं जाता। हमारे देश की सेना शेर है।'

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कितनी पेंसिल टूटी मायने नहीं रखता, रिजल्ट अहम

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर उठ रहे प्रश्नों का जवाब देते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेनाओं ने अपने लक्ष्य हासिल किए। उन्होंने कहा, 'किसी भी परीक्षा में रिजल्ट मैटर करता है। ये ध्यान नहीं देना चाहिए कि कितनी पेंसिल टूट गई थी या पेन खराब हो गया था।'

मूल प्रकृति बुद्थ की, युद्ध की नहीं

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अपने इस संबोधन के दौरान कहा कि हमारी मूल प्रकृति बुद्ध की है, युद्ध की नहीं। उन्होंने 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पाकिस्तान जाकर दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'अब हमारी सरकार का स्टैंड एकदम साफ है कि टेररिज्म और बातचीत साथ नहीं चल सकते। एक ऐसा देश जहां लोकतंत्र का कतरा भी नहीं है, वहां धार्मिक उन्माद है, जहां गोलियों की आवाजें गूंजती रहती हैं, उनके साथ बातचीत नहीं हो सकती। उनकी आतंकवादी की नर्सरी है। पाकिस्तान सरकार आतंकियों के लिए स्टेट फ्यूनरल का इंतजाम करती है।'

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Digpal Singh author

साल 2006 से पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं। शुरुआत में हिंदुस्तान, अमर उजाला और दैनिक जागरण जैसे अखबारों में फ्रीलांस करने के बाद स्थानीय अखबारों और मै...और देखें

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