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अनिल अंबानी ग्रुप से जुड़े 35 ठिकानों पर ED की रेड, 3000 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग की जांच से जुड़ा है मामला
CBI की शुरुआती जांच के आधार पर ED ने धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया और 50 से अधिक कंपनियों और 25 व्यक्तियों से जुड़े 35 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की।
ED Raids on Anil Ambani Group Gompanies: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप से जुड़ी कंपनियों RAAGA कंपनियों के खिलाफ कथित मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर दी है। यह कार्रवाई यस बैंक से जुड़े 3,000 करोड़ रुपये के कर्ज हेरफेर घोटाले के सिलसिले में की जा रही है। यह जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा ग्रुप कंपनियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आधार पर शुरू की गई है। CBI की शुरुआती जांच के आधार पर ED ने धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया और 50 से अधिक कंपनियों और 25 व्यक्तियों से जुड़े 35 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की।

अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों पर ईडी की रेड (PTI)
RAAGA कंपनियों के खिलाफ जांच
सीबीआई द्वारा एफआईआर संख्या- RC2242022A0002 और RC2242022A0003 दर्ज करने के बाद ईडी ने RAAGA कंपनियों (रिलायंस अनिल अंबानी समूह की कंपनियां) द्वारा धन शोधन के अपराध की जांच शुरू की थी। अन्य एजेंसियों और संस्थानों ने भी ईडी के साथ जानकारी साझा की, जैसे- राष्ट्रीय आवास बैंक, सेबी, राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA) और बैंक ऑफ बड़ौदा। ईडी की शुरुआती जांच में बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों के साथ धोखाधड़ी करके जनता के धन की हेराफेरी/गबन करने की एक सुनियोजित और सोची-समझी योजना का खुलासा हुआ है। यस बैंक्स लिमिटेड के प्रमोटर सहित बैंक अधिकारियों को रिश्वत देने का अपराध भी जांच के दायरे में है। राष्ट्रीय आवास बैंक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA), और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी एजेंसियों ने भी ED को अहम जानकारी दी है।
आरोपों का जाल

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ED सूत्रों के अनुसार, शुरुआती जांच में एक सुनियोजित और पूर्व-नियोजित योजना का खुलासा हुआ है, जिसके तहत बैंकों, शेयरधारकों और सार्वजनिक संस्थाओं को धोखा देकर सार्वजनिक धन का गबन किया गया। जांच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा उन आरोपों पर केंद्रित है जिसमें कहा गया है कि यस बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों, जिनमें उसके प्रमोटर भी शामिल हैं, उन्हें कथित तौर पर भारी असुरक्षित लोन के बदले रिश्वत दी गई।
एक बड़ा संकेत यह भी है कि 2017 से 2019 के बीच RAAGA कंपनियों को लोन मिलने से ठीक पहले यस बैंक के प्रमोटरों से जुड़ी संस्थाओं को उनके निजी उपक्रमों में धन मिला जिससे ‘क्विड-प्रो-क्वो’ (लेन-देन आधारित समझौते) का संकेत मिलता है। ईडी ने लोन स्वीकृति प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं उजागर की हैं, जिनमें शामिल हैं:
- पुरानी तारीख में बनाए गए क्रेडिट अप्रूवल मेमोरेंडम (CAM)
- उचित परिश्रम या ऋण विश्लेषण की कमी
- आवेदन की तारीख से पहले या उसी दिन ऋण वितरण
- फंड्स का शेल कंपनियों और प्रमोटरों से जुड़ी संस्थाओं में डायवर्जन
- सामान्य निदेशकों और पते वाले उधारकर्ता
ये सभी तथ्य इस ओर इशारा करते हैं कि यह ‘एवरग्रीनिंग’ की रणनीति थी जिसमें पुराने डिफॉल्ट को छुपाने के लिए नए लोन दिए जाते हैं।
RHFL जांच के घेरे में
SEBI ने रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) को लेकर अपनी अलग रिपोर्ट ED को सौंपी है। रिपोर्ट में FY 2017-18 में 3,742.6 करोड़ रूपये से FY 2018-19 में 8,670.8 करोड़ रुपये तक कॉर्पोरेट लोन एक्सपोजर में अचानक हुई वृद्धि को चिन्हित किया गया है। ED इस बात की जांच कर रही है कि कैसे अप्रूवल प्रक्रिया में अनियमितताएं, त्वरित लोन वितरण और प्रक्रिया उल्लंघन हुए।
खबर प्रकाशित करने तक रिलायंस अंबानी ग्रुप की ओर से इस कार्रवाई पर अभी तक कोई बयान नहीं आया है।
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