चाहे प्रधानमंत्री हो, या मुख्यमंत्री,या फिर मंत्री अब जेल से कोई सरकार नहीं चला पाएगा : अमित शाह

संसद का मानसून सत्र 21 अगस्त को खत्म हुआ। वैसे तो ये सत्र हंगामेदार रहा ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सिर्फ सदन में चर्चा हो पाई। सत्र की समाप्ति से ठीक पहले सरकार 130वा संविधान संशोधन विधेयक लेकर सदन में आई। जिसे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में पेश किया। हालांकि इस बिल पर जमकर हंगामा हुआ विपक्ष ने इसे संविधान की हत्या करार दिया। लेकिन आज केंदीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल को लेकर एक इंटरव्यू में अपनी राय रखी और बताया की इस बिल को लाने की क्यों जरूरत पड़ी
और विपक्ष इस बिल का विरोध कर रहा है तो उसके पीछे क्या उनका तर्क सही है या नहीं ..
आइए सबसे पहले इस विधेयक के बारे में आपको बता देते है। इस विधेयक में इस बात का प्रावधान है की अगर किसी नेता पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगते है और वो तीस दिनों तक जेल में रहता है तो 31वें दिन उसे अपने पद से हटना होगा। अगर ये बिल संसद के दोनों सदनों से पास हो जाता है तो?
चाहे प्रधानमंत्री हो, किसी राज्य के मुख्यमंत्री हो, या फिर मंत्री हो। ये सभी इस कानून के दायरे में आयेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री ने एक सवाल पूछा की, क्या इस देश के किसी नेता को जेल से सरकार चलाने का अधिकार होना चाहिए। अगर मुख्यमंत्री जेल में है तो क्या डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी उनसे मिलने जेल जायेगे और ऑर्डर जेल से दिया जाएगा
ये भारतीय लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। अमित शाह ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्री रहे सतेंद्र जैन का उदाहरण दिया, की ये लोग कैसे लोकतंत्र का मजाक उड़ा रहे थे।
अगर आप निर्दोष हैं तो कोर्ट से आपको जमानत मिल जाएगी। आप दोबारा उस पद पर आ सकते हैं। इस बिल में ऐसा क्या है की विपक्ष हंगामा कर रहा है
इस बिल को जेपीसी में भेजा जाएगा और सभी पार्टी के लोग जेपीसी में होते है। वहां अपनी राय रख सकते हैं
विपक्ष पर खासकर कांग्रेस पर बरसते हुए अमित शाह ने कहा की सजायाफ्ता सांसदों को बचाने के लिए यूपीए सरकार एक अध्यादेश लेकर आई थीं। लालू यादव जैसे नेताओं को बचाने के लिए, लेकिन उसको राहुल गांधी ने फाड़ दिया था और अपने पीएम का मज़ाक बनाया था आज वही लालू प्रसाद यादव से गले मिल रहे हैं।
एक सवाल के जवाब में केंदीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा की इस बिल से विधान सभा और लोक सभा में बहुमत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। न सरकार अस्थिर होगी। एक व्यक्ति हटता है तो उसके साथी जो उस पार्टी के होंगे वो सरकार चलाएंगे।
कुल मिलाकर इस बिल का विरोध क्यों किया जा रहा है ? विपक्ष का आरोप है की इस समय केंद्र में बीजेपी की सरकार है और विपक्ष के नेताओं को किसी केस में फसाया जा सकता है। और कोर्ट पर दबाव डालकर जमानत को टाला जा सकता है।
इस पर अमित शाह ने जवाब देते हुआ कहा की इस देश में कानून अपने तरीके से काम करता है। इस बिल के आने से कोर्ट पर कोई दबाव नहीं होगा। वो अपने तरीक़े से काम करेंगे
अगर किसी नेता पर आरोप सिद्ध नहीं होते हैं तो कोर्ट से उनको जमानत मिल जाएगी और वह दोबारा जाकर उस पद को संभाल सकते हैं..
अमित शाह ने अंत में यह भी कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि जेपीसी में इस बिल पर व्यापक चर्चा होगी...सभी राजनीतिक दलों के नेता अपनी अपनी राय जेपीसी के सामने रखेंगे और जेपीसी के द्वारा जो सुझाव आएंगे और फाइनल रिपोर्ट स्पीकर को सबमिट होगी... उसके बाद हम इस बिल को संसद के दोनों सदनों से पास करेंगे..इस बिल पर एनडीए के सभी सहयोगी दल हमारे साथ है चुकी मानसून सत्र में जमकर हंगामा होता रहा इसलिए एनडीए के नेताओं को अपनी राय रखने का मौका नहीं मिल पाया लेकिन इस बिल पर सभी सहयोगी हमारे साथ हैं
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