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Nithari Case: निठारी कांड में CBI, यूपी सरकार और पीड़ित परिवारों की अपील सुप्रीम कोर्ट में खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2006 के बहुचर्चित निठारी कांड में आरोपी सुरेंद्र कोली को बरी करने के खिलाफ दायर की गई कुल 14 अपीलों को खारिज कर दिया है।
Nithari case Noida

निठारी कांड (फोटो: canva)

Nithari Case Noida: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 2006 के सनसनीखेज निठारी सीरियल हत्याकांड मामले में आरोपी सुरेंद्र कोली को बरी किए जाने के खिलाफ दायर 14 अपीलों को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि कोली को बरी करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निष्कर्षों में 'कोई विकृति' (no perversity) नहीं थी।

साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 का हवाला देते हुए, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि खुले नाले से पीड़ितों की खोपड़ियाँ और अन्य सामान बरामद करना पुलिस के समक्ष कोली के बयान के बाद नहीं किया गया था। पीठ ने कहा कि पुलिस द्वारा आरोपी का बयान दर्ज किए बिना की गई कोई भी बरामदगी साक्ष्य कानून के तहत सबूत के रूप में स्वीकार्य नहीं है।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल उन्हीं बरामदगी को, जो केवल अभियुक्तों की पहुंच वाले स्थान से की गई हों, परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित मामले में साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। शीर्ष न्यायालय पिछले साल सीबीआई और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर याचिकाओं सहित अलग-अलग याचिकाओं पर विचार करने के लिए सहमत हुआ था, जिनमें 16 अक्टूबर, 2023 को कोली को बरी करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी।इन याचिकाओं में से एक याचिका पीड़ितों में से एक के पिता द्वारा उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए दायर की गई थी।

बच्चों के साथ बलात्कार और हत्या का आरोप

मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके घरेलू सहायक कोली पर उत्तर प्रदेश के निठारी में अपने पड़ोस के लोगों, खासकर बच्चों, के साथ बलात्कार और हत्या का आरोप था। कोली को 28 सितंबर, 2010 को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।

उच्च न्यायालय ने पंढेर और कोली को मृत्युदंड के मामले में बरी कर दिया, यह मानते हुए कि अभियोजन पक्ष उनके अपराध को 'उचित संदेह से परे' साबित करने में विफल रहा और इसे एक 'विफल' जांच कहा। कोली को 12 मामलों में तथा पंढेर को दो मामलों में दी गई मौत की सजा को पलटते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि जांच 'जिम्मेदार एजेंसियों द्वारा जनता के विश्वास के साथ विश्वासघात से कम नहीं है।'

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रवि वैश्य author

रवि वैश्य 'Times Now नवभारत' डिजिटल के 'न्यूज डेस्क' में Assistant Editor के रूप कार्यरत हैं, 'खबरों के संसार' में काम करते हुए करीब 20 साल से ज्यादा ...और देखें

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