'...EC पर नहीं करते भरोसा', मनीष तिवारी ने EVM पर उठाया सवाल; बोले- 3 दिन बाद भी कैसे हो सकती है 99% बैटरी

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी (फोटो साभार: @ManishTewari)
Vote Theft Row: कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने रविवार को एसआईआर से लेकर ईवीएम तक के मुद्दों को लेकर चुनाव आयोग पर जमकर निशाना साधा। साथ ही उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से इस देश में आज बहुत से लोग चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं करते है।
कांग्रेस सांसद ने क्या कुछ कहा?
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण और 'वोट चोरी' के मुद्दे को लेकर मनीष तिवारी ने समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, ''तीन चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए गठित समिति में प्रधान न्यायाधीश, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और विपक्ष के दोनों नेताओं को शामिल होना चाहिए ताकि इसकी खोई हुई विश्वसनीयता वापस आ सके...''
कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने अपने बहुत बड़े शेयरधारकों का विश्वास खो दिया है। दुर्भाग्य से इस देश में आज बहुत से लोग चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं करते हैं। साथ ही उन्होंने ईवीएम से जुड़े मुद्दे पर भी प्रकाश डाला और चुनाव आयोग की चुप्पी पर सवाल खड़ा किया और पूछा कि तीन दिन बाद भी ईवीएम की बैटरी 99 प्रतिशत कैसे हो सकती है?
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EC की चुप्पी पर उठाया सवाल
मनीष तिवारी ने कहा कि हरियाणा चुनाव में मशीनें पूरे दिन इस्तेमाल की गईं और फिर उन्हें तीन दिनों तक स्ट्रांग रूम में बंद रखा गया, लेकिन जब उन्हें बाहर निकाला गया तो उनकी बैटरी 99 फीसदी चार्ज थी। रात में 100 प्रतिशत पर रहने वाला iPad भी सुबह तक 80 प्रतिशत हो जाता है... आज तक चुनाव आयोग यह जवाब नहीं दे पाया कि एक ईवीएम सुबह 6 बजे चालू की गई, मॉक टेस्टिंग की गई फिर वह 8 से 9 तक चली और फिर बंद कर दी गई। उसे तीन दिनों तक स्ट्रांग रूम में रखा गया। उसकी बैटरी 99 प्रतिशत कैसे हो सकती है? तो फिर चुनाव आयोग इसका जवाब क्यों नहीं देता?
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SIR का प्रावधान नहीं
मनीष तिवारी ने आगे एसआईआर से जुड़े मुद्दे पर भी खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि संविधान में कहीं भी विशेष गहन पुनरीक्षण का प्रावधान नहीं है... जिस तरह से बिहार चुनाव से दो महीने पहले यह समीक्षा जल्दबाजी में की जा रही है... वह संदिग्ध है... जिस प्रक्रिया के तहत चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों की पहचान, नामांकन और पंजीकरण किया जाता है, उसे बदला जाना चाहिए। इसमें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री शामिल होने चाहिए। विपक्ष के दोनों नेता भी शामिल होने चाहिए... अगर ऐसी कोई समिति तीनों चुनाव आयुक्तों का चयन करती है तो यह खोई हुई विश्वसनीयता वापस आ जाएगी...।
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