उपराष्ट्रपति चुनाव में ट्विस्ट? बी. सुदर्शन रेड्डी का दावा- ‘इंडिया’ के अलावा अन्य दलों का भी समर्थन

लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और उपराष्ट्रपति उम्मीदवार न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी. सुदर्शन रेड्डी (फोटो- ANI)
भारत के आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। पूर्व न्यायाधीश और ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया)’ के उम्मीदवार न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी. सुदर्शन रेड्डी ने मंगलवार को दावा किया कि उन्हें ‘इंडिया’ गठबंधन के अलावा अन्य राजनीतिक दलों का भी समर्थन प्राप्त हो रहा है। उन्होंने सभी सांसदों से अपील की है कि वे अपने दलगत स्वार्थ से ऊपर उठकर उनकी उम्मीदवारी को ‘गुण-दोष’ के आधार पर विचार करें।
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लखनऊ पहुंचे थे न्यायमूर्ति रेड्डी
न्यायमूर्ति रेड्डी लखनऊ में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेताओं से विचार-विमर्श करने पहुंचे थे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि उन्हें विपक्षी दलों का विश्वास प्राप्त है, और इसके अलावा भी कई लोग हैं जो इस गठबंधन का हिस्सा नहीं होने के बावजूद सहयोग के लिए आगे आ रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से सांसदों से अनुरोध किया कि वे अपनी राजनीतिक दलों की भावना से ऊपर उठकर इस संवैधानिक पद के महत्व को समझते हुए उनका समर्थन करें।
क्या बोले न्यायमूर्ति रेड्डी
अपने संबोधन में न्यायमूर्ति रेड्डी ने उपराष्ट्रपति पद को राजनीतिक नहीं बल्कि एक उच्च संवैधानिक ओहदा बताते हुए कहा कि इस पद पर बैठने वाले कई महान दार्शनिक, राष्ट्रकर्मी और शिक्षाविद् रहे हैं। उन्होंने पूर्व उपराष्ट्रपतियों जैसे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ. जाकिर हुसैन, डॉ. के. आर. नारायणन और श्री हामिद अंसारी को अपने प्रेरणा स्रोत के रूप में उद्धृत किया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने राजनीतिक अखाड़े में कदम नहीं रखा है बल्कि एक संवैधानिक पद के लिए उम्मीदवार बनाए गए हैं।
अमित शाह के आरोपों पर क्या बोले
न्यायमूर्ति रेड्डी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा उन्हें नक्सलवाद का समर्थक बताये जाने के आरोपों पर चर्चा करने से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने पहले ही इस विषय पर अपनी प्रतिक्रिया दे दी है और शाह एक ‘विमर्श’ गढ़ना चाहते हैं, जिसका वह हिस्सा नहीं बनेंगे। संबंधित सवालों पर न्यायमूर्ति ने कहा कि संवैधानिक संस्थाएं वर्तमान में प्रभाव में हैं, लेकिन उन्हें खुद को सही मार्ग पर लौटाने के लिए गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने हाल ही में संसद में पेश किए गए 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर टिप्पणी करने से बचते हुए कहा कि यह फिलहाल संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष है, इसलिए इस पर कोई टिप्पणी अभी उचित नहीं होगी।
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शिशुपाल कुमार टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल के न्यूज डेस्क में कार्यरत हैं और उन्हें पत्रकारिता में 13 वर्षों का अनुभव है। पटना से ताल्लुक रखने वाले शिशुपा...और देखें

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