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भारत में कब हुआ था चुनाव आयोग का गठन, इसके क्या-क्या अधिकार?

भारत का चुनाव आयोग एक स्थायी संवैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 को संविधान के मुताबिक की गई थी। तब यह चुनाव आयोग एक सदस्यीय ही था। आज के दौर में चुनाव आयोग में तीन सदस्य होते हैं....

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Election Commission Of India: बिहार में एसआईआर के मुद्दे पर विपक्षी दलों के गठबंधन इंडी एलायंस ने चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। खास तौर पर इसे लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी खासे मुखर हैं और विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहे हैं। इसके जवाब में चुनाव आयोग ने राहुल को नोटिस थमाकर उनसे सबूत मांगा है ऐसा नहीं करते पर आरोप वापस लेने का अल्टीमेटम दिया है। इस विवाद के बीच आइए जानते हैं कि भारत निर्वाचन आयोग का इतिहास क्या है, इसका गठन कब हुआ था और कौन इसके पहले प्रमुख थे और इसके क्या-क्या अधिकार हैं।

चुनाव आयोग का इतिहास

संविधान, भारत के चुनाव आयोग को संसद, राज्य विधानसभाओं, भारत के राष्ट्रपति और भारत के उपराष्ट्रपति के चुनावों के निर्देशन और नियंत्रण की शक्ति प्रदान करता है। चुनाव आयोग एक अखिल भारतीय निकाय है जो केंद्र सरकार और राज्य सरकारों, दोनों के लिए समान है। यहां ध्यान देने योग्य बात है कि यह आयोग राज्यों में नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनावों से संबंधित नहीं है। इसलिए, भारत के संविधान द्वारा एक अलग राज्य चुनाव आयोग का प्रावधान किया गया है।

25 जनवरी 1950 को गठन

भारत का चुनाव आयोग एक स्थायी संवैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 को संविधान के मुताबिक की गई थी। तब यह चुनाव आयोग एक सदस्यीय ही था। आज के दौर में चुनाव आयोग में तीन सदस्य होते हैं, एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त। 1950 में स्थापना के समय सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त ही इसके एकमात्र सदस्य होते थे। 1989 तक ऐसा चलता रहा। चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, पहली बार 16 अक्तूबर 1989 को दो अतिरिक्त आयुक्त नियुक्त किए गए लेकिन उनका भी कार्यकाल 1 जनवरी 1990 तक ही रहा। इसके बाद, 30 सितंबर,1993 तक चुनाव आयोग में सिर्फ एक ही सदस्य यानी मुख्य चुनाव आयुक्त ही रहे। फिर 1 अक्तूबर, 1993 को दो अतिरिक्त चुनाव आयुक्त नियुक्त किए गए और तब से तीन-सदस्यीय आयोग कार्य कर रहा है।

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