कहां से आया गजरा: सुगंध में बसी संस्कृति है नारी का शृंगार, भावनाओं का भी खूबसूरत इजहार

कहां से आया गजरा: गजरे का इतिहास और महत्व (AI Generated)
कुछ समय पहले मम्मी की पुरानी मैगजीन टटोलते हुए मैंने ये पंक्तियां पढ़ी थीं - ज़ुल्फों में आकर ऐसे सजा गजरा, जैसे रात की काली चुनरी पर किसी ने चांदनी के फूल टांक दिए हों!
बस तभी से ही सोचा था कि गजरे के रूप में सुगंध से भरी संस्कृति पर कुछ लिखूंगी। वैसे गजरे से मेरी शुरुआती पहचान मम्मी की फेवरिट 60 के दशक की फिल्मों से है। जिसमें उस दौर की सभी हीरोइनों को मैंने गजरे में सजा देखा है। साधना, वैजयंती माला, वहीदा रहमान के गजरे के अंदाज बहुत अच्छे लगते थे। तब मैं मम्मी से पूछती भी थी कि वो रोज गजरा क्यों नहीं लगातीं।
धीरे-धीरे समझ में आने लगा कि उत्तर भारत में लेडीज लोग रोज गजरा नहीं लगातीं। हां, तीज त्योहार और विवाह जैसे पांरपरिक मौकों पर ढूंढ-ढूंढ कर ताजा और सुंदर गजरा लेकर आती हैं। वहीं इस तरफ की कुंवारी लड़कियां भी बालों में गजरा नहीं लगाती हैं। हेयर स्टाइल के नाम पर एक-दो फूल या फ्लोरल एक्सेसरीज जरूर उनके लुक का हिस्सा बन जाती हैं।
वहीं दक्षिण भारत का कल्चर थोड़ा अलग है। वहां फूलों की एक सादी सी लड़ी रोज के पहनावे का हिस्सा है। चोटी, जूड़ा या खुले बालों में एक पिन के साथ लटका जूड़ा - आपको दूर से ही वहां की संस्कृति की मोहक महक से परिचित करा देगा। लेकिन ये श्रृंगार बस विवाहिता का हो - ये जरूरी नहीं। मेरी एक क्लोज फ्रेंड है प्रियम। उसकी शादी नहीं हुई लेकिन छुट्टी वाले दिन वो बहुत शौक से बालों में गजरा सजाकर रहती है। जबकि मैं अभी तक इसे अपना नहीं पाई हूं।
हां, कई बार जो वो गिफ्ट देती है तो गजरे का भावनात्मक पहलू भी समझ में आता है। ये एक सुंदर उपहार है, दोस्ती का प्रतीक है और और प्रेम का खामोश इजहार भी। प्रेम, मोहब्बत - शायद तभी कई शायरियों में प्रेमिका के सौंदर्य की तारीफ में गजरा का जिक्र जरूर मिलता है। कई जगह इसे प्रेमी की मोहब्बत की निशानी से भी जोड़ा गया है। इसी से जुड़ा वश्मा ख़ान का एक शेर पढ़ें -
ज़ुल्फ़ों में तेरी याद का गजरा सजा भी हो,
हाथों पे मेरे प्यार का रंग-ए-हिना भी हो।
एक शेर ये भी अर्ज किया है -
तेरे गजरे का असर यूं मेरी रूह तक पहुंचा,
हर सांस में बस तेरा नाम महकने लगा।
गजरा किस संस्कृति से जुड़ा है - हिंदू या मुस्लिम
अक्सर लोग गजरे को मुगल दरबार से जोड़कर देखते हैं। लेकिन कालिदास की चौथी और पांचवीं शताब्दी में लिखी कुमारसंभव और ऋतुसंहार जैसी रचनाओं में स्त्रियों के केशों में फूल सजाने का बार-बार उल्लेख है। ऋतुसंहार में वसंत ऋतु का वर्णन करते हुए लिखा है कि महिलाएं अपने केशों में आम्र-फलकों और पुष्पों की माला सजाती हैं। वहीं दक्षिण भारत सके अकनानूरु और पदित्रुप्पत्तु जैसे संगम साहित्य (जो लगभग 300 ईसा पूर्व – 300 ईस्वी में रचे गए) में भी नायिकाओं द्वारा केशों में मल्लिका (जैस्मिन) और केतकी के फूल सजाने का उल्लेख मिलता है।
इस तरह भारत की प्राचीन संस्कृति से ही गजरा नारी के लावण्य की शोभा बढ़ाता आ रहा है। लेकिन क्योंकि भारत के इतिहास में मुगलकाल का जो प्रभाव है, उसमें गजरे की शोभा को इत्र और महफिली रूप में भी विस्तार मिला।
गजरे का पौराणिक महत्व- देवियों का दैवीय श्रृंगार
पौराणिक मान्यताओं में पार्वती माता को शृंगारप्रिय कहा गया है, और उनके गजरे में मल्लिका व कदंब पुष्प का उल्लेख मिलता है। इसका महत्व इसी बात से समझें कि तमिलनाडु में कांचीपुरम स्थित कामाक्षी मंदिर में अब भी देवी को रोज गजरे से सजाया जाता है। वहीं भागवत पुराण और गीतगोविंद में वर्णन है कि राधा और गोपियां अपने केशों में गजरे सजाकर कृष्ण से मिलन के लिए जाती थीं। वृंदावन और बरसाना की परंपरा में आज भी राधा-कृष्ण के श्रृंगार में गजरे का खास स्थान है और वहां खेली जाने वाली फूलों की होली इसी का विस्तार मानी जाती है।
क्यों लगाया जाता है गजरा
गजरे को रूप- श्रृंगार से जोड़ा गया है। लेकिन गजरे को तनाव से मुक्ति पाने का एक साधन भी माना जाता है। देखें एक नजर में गजरा की परंपरा के क्या लाभ हैं-
1. गजरे को सौभाग्य और समृद्धि की निशानी भी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि गजरा लगाने से रिश्तों में प्यार की महक बरकरार रहती हैं, दूसरा इससे परिवार में हमेशा सुख-शांति का माहौल बना रहता हैं।
2. गजरा लगाने से न सिर्फ खूबसूरती बढ़ती हैं बल्कि आसपास का माहौल भी सुगंधित रहता हैं जो किसी का भी ध्यान आसानी से अपनी तरफ खींच लेता है।
3. दंपत्ति जीवन में खुशहाली लाने में भी गजरा अपनी अहम भूमिका निभाता है। कहा जाता है कि इसे लगाने से पति-पत्नी के रिश्ते में प्यार बना रहता हैं जोकि अटूट रहता है।
4. आयुर्वेद और अरोमाथैरेपी के अनुसार, मोगरा और गुलाब की खुशबू तनाव को कम करती है और नर्वस सिस्टम को भी शांत रखती है।
5. गजरे की खुशबू सीधे तौर पर आपकी मेंटल और इमोशनल हेल्थ पर असर डालती है।
आज के दौर में गजरा
आधुनिक शहरी जीवन में भी गजरे का आकर्षण कम नहीं हुआ। इसको फिल्मी हिरोइनों के वेडिंग लुक से भी समझ सकते हैं। शादी में लाल जोड़े की जगह कलर में नया ट्रेंड भले ही फॉलो हुआ हो लेकिन खूबसूरत गजरे उनके लुक में चार चांद लगाते ही नजर आए। सेलिब्रटीज से इतर शादियों, पार्टियों और फेस्टिवल्स में महिलाएं अब भी गजरे से अपना लुक संवारती हैं। आखिर हुस्न में इससे एक अलग ही शोखी और नजाकत जो आती है।
हां, लेकिन जब टाइम कम हो और ताजा गजरा आपकी पहुंच में ना हो तो बाजार में अब आर्टिफिशियल गजरे भी सजना के लिए सजने के लिए मौजूद हैं। रबर बैंड, टियारा, लटकन, पिन से बंद होने वाले जैसे तमाम ऑप्शन हैं जो आपके रूप को पारंपरिक रूप से सजाने के साथ ही इसे ग्लैमर भी देते हैं।
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