421 किलोमीटर ऊपर से आया ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का ये खास मैसेज, बता दी दिल की बात

अंतरिक्ष यान ‘ड्रैगन’ के अंतरिक्ष प्रयोगशाला से जुड़ने के साथ ही गुरुवार को भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पहुंच गए। अंतरिक्ष यान उस समय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ा, जब यह भारतीय समयानुसार अपराह्न 4:01 बजे उत्तरी अटलांटिक महासागर के ऊपर से गुजर रहा था। यह पहली बार है जब कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री आईएसएस की यात्रा पर गया है। इससे पहले शुभांशु शुक्ला ने संदेश भेजा जिसमें उन्होंने अंतरिक्ष के बारे में दिलचस्प बातें की ।

निर्वात में तैरना सीख रहा हूं
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Image Credit : SPACE-X,NASA

​निर्वात में तैरना सीख रहा हूं​

अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अपने तीन यात्रियों के साथ अंतरिक्ष में है। वह सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण की स्थितियों में एक बच्चे की तरह रहना सीख रहे हैं और जब ड्रैगन अंतरिक्ष यान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ने की अपनी यात्रा में पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा था तो निर्वात में तैरना एक अद्भुत अनुभव था। उन्होंने एक वीडियो शेयर कर अपने अभी तक के दिलस्चप अनुभवों को बयां किया है।

शेयर किया वीडियो
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शेयर किया वीडियो

अंतरिक्ष यान से एक वीडियो लिंक के जरिए अपना अनुभव साझा करते हुए शुभांशु शुक्ला ने कहा कि बुधवार को एक्सिओम-4 मिशन के प्रक्षेपण से पहले 30 दिनों तक पृथक वास के दौरान बाहरी दुनिया से पूरी तरह दूर रहने के बाद कि मेरे दिमाग में केवल यही विचार आया था कि हमें बस जाने दिया जाए।

अद्भुत सफर
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अद्भुत सफर

शुभांशु शुक्ला ने कहा कि वाह! अद्भुत सफ़र था! सच कहूँ तो, जब मैं कल लॉन्चपैड पर कैप्सूल ग्रेस में बैठा था, तो मेरे दिमाग में एक ही विचार था कि चलो बस चलते हैं! 30 दिन तक पृथक वास करने के बाद ऐसा लग रहा था कि मैं बस जाना चाहता हूं। उत्साह और सब कुछ बहुत दूर था। बस यही लग रहा था कि चलो बस चलते हैं। अंतरिक्ष यात्रियों ने स्पेसएक्स के नए ड्रैगन अंतरिक्ष यान को ‘ग्रेस’ नाम दिया है।

अद्भुत एहसास
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अद्भुत एहसास

उन्होंने कहा कि लेकिन जब यात्रा शुरू हुई, तो यह कुछ खास था। आप सीट पर पीछे की ओर धकेले जा रहे थे। यह एक अद्भुत सफर था और फिर अचानक कुछ भी महसूस नहीं हुआ। सब कुछ शांत था और आप बस तैर रहे थे। आप बेल्ट खोलकर निर्वात में तैर रहे थे। भारतीय अंतरिक्ष यात्री ने कहा कि निर्वात में जाने के बाद पहले कुछ क्षण तो अच्छे नहीं लगे लेकिन जल्द ही यह एक अद्भुत अहसास बन गया।

नजारों का आनंद
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नजारों का आनंद

शुभांशु शुक्ला ने कहा कि मैं इसकी अच्छी तरह से आदत डाल रहा हूं। मैं नजारों का आनंद ले रहा हूं, अनुभव ले रहा हूं और एक बच्चे की तरह सीख रहा हूं। यह सीख रहा हूं कि कैसे चहलकदमी करूं, अपने आप पर नियंत्रण रखना सीख रहा हूं, खाना-पीना सीख रहा हूं। यह सब बहुत रोमांचक है।

क्या हुआ महसूस
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क्या हुआ महसूस

शुभांशु शुक्ला ने कहा बताया कि हंस जैसे दिखने वाले एक खिलौने ‘जॉय’ के बारे में भी बताया जो शून्य गुरुत्वाकर्षण संकेतक है और एक्सिओम-4 मिशन पर चालक दल का पांचवां सदस्य है। प्रक्षेपण के दौरान गुरुत्वाकर्षण बल का सामना करने के अपने अनुभव को साझा करते हुए शुक्ला ने कहा कि उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे उन्हें अपनी सीट पर पीछे धकेला जा रहा हो।

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