क्राइम

Cyber Crime: साउथ-वेस्ट दिल्ली में साइबर ठगी का कहर, ढाई साल में 30 करोड़ रुपये का नुकसान

सप्लाई करने वाले ठग फर्जी जॉब ऑफर, ईमेल और मोबाइल ऐप (APK) से लोगों को फंसाते हैं। सेक्टॉर्शन गैंग सोशल मीडिया/डेटिंग ऐप पर वीडियो कॉल से जाल बुनते हैं और बाद में ब्लैकमेल करते हैं।
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साइबर क्राइम (प्रतीकात्मक फोटो:istock)

साउथ-वेस्ट दिल्ली के लोग इन दिनों साइबर अपराधियों के निशाने पर हैं। पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि पिछले ढाई साल में यहां के लोगों से करीब 30 करोड़ रुपये ठग लिए गए। ऑनलाइन ट्रेडिंग स्कैम और फर्जी नौकरी के ऑफर सबसे बड़े जाल साबित हो रहे हैं, जिनमें ज्यादातर 18 से 44 साल की उम्र के लोग फंस रहे हैं।

इस साल के आंकड़े

4 सितंबर 2025 तक साइबर पुलिस ने 90 केस दर्ज किए हैं, जिनमें लोगों से 5.07 करोड़ रुपये ठगे गए। पुलिस ने इनमें से 56 केस सुलझा लिए और 147 आरोपी गिरफ्तार किए। साथ ही करीब 2.27 करोड़ रुपये वापस भी दिलाए गए।

पिछले सालों का हाल

  • 2024 में 112 केस दर्ज हुए, जिनमें 15.8 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
  • 2023 में 100 केस दर्ज हुए, नुकसान करीब 9.05 करोड़ का था।
  • गिरफ्तारियों के मामले में भी बढ़ोतरी हुई है – 2023 में 105 और 2024 में 185 लोग पकड़े गए।
  • किस तरह के केस सबसे ज़्यादा?
  • ऑनलाइन ट्रेडिंग स्कैम – 25 मामले
  • फर्जी नौकरी ऑफर – 12 मामले
  • डेबिट/क्रेडिट कार्ड या सिम-स्वैप फ्रॉड – 9 मामले
  • डिजिटल अरेस्ट – 7 मामले
  • साइबर बुलिंग व बिजली बिल ठगी – 6-6 मामले
  • इसके अलावा सोशल मीडिया पर फेक प्रोफाइल, आईडी चोरी, शादी-ब्याह से जुड़े फ्रॉड और फिशिंग के मामले भी दर्ज हुए।

कौन-कौन हो रहे हैं शिकार?

  • युवा (18–44 साल) – इन पर सबसे ज्यादा निशाना साधा जा रहा है। ऑनलाइन जॉब, इन्वेस्टमेंट स्कीम और सोशल मीडिया फ्रॉड इनको फंसा रहे हैं।
  • किशोर (12–17 साल) – साइबर बुलिंग और सेक्टॉर्शन का शिकार।
  • महिलाएं – नकली प्रोफाइल, मॉर्फ्ड फोटो और फर्जी वर्क-फ्रॉम-होम ऑफर से परेशान।
  • वरिष्ठ नागरिक – डिजिटल अरेस्ट और बिजली बिल ठगी के आसान शिकार।

ठगी के हब और पैटर्न

  • दिल्ली में हो रही ठगी के धागे कई राज्यों से जुड़े हैं।
  • मेवात (भरतपुर, मथुरा) – सेक्टॉर्शन और होटल बुकिंग स्कैम
  • झारखंड का जामताड़ा – KYC और कार्ड पॉइंट फ्रॉड
  • राजस्थान, गुजरात, बंगाल और एमपी – म्यूल अकाउंट

पैसों का खेल

लगभग हर केस में पैसों का ट्रांजैक्शन फर्जी सिम कार्ड और म्यूल बैंक अकाउंट से होता है। बेरोजगार युवाओं या छात्रों के अकाउंट इस्तेमाल किए जाते हैं और उन्हें 5–10% कमीशन मिलता है। आगे चलकर पैसे क्रिप्टोकरेंसी (जैसे USDT) में बदल दिए जाते हैं और फिर दुबई, म्यांमार, कंबोडिया जैसे देशों में बैठे गैंग्स तक पहुंचा दिए जाते हैं।

पुलिस की चुनौती और अपील

साउथ-वेस्ट दिल्ली साइबर पुलिस की 10 टीमें लगातार जांच कर रही हैं। तकनीकी सपोर्ट, IP ट्रैकिंग और नेशनल एजेंसियों की मदद से अपराधियों तक पहुंचने की कोशिशें जारी हैं। पुलिस का कहना है “ठगों के तरीके हर दिन बदल रहे हैं। पुलिस सख्ती कर रही है, लेकिन लोगों की जागरूकता ही असली सुरक्षा कवच है।”

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मोहित ओम author

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