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धरती पर लौटने से पहले क्यों काटने पड़ते हैं अंतरिक्ष के चक्कर? जानिए स्पेस रिटर्न की साइंस

अंतरिक्ष से धरती पर लौटना एक बेहद जटिल और विज्ञानिक प्रक्रिया है। ऐसा नहीं है कि स्पेसक्राफ्ट जैसे ही आदेश मिले, सीधा नीचे आ जाए। इसके लिए पूरी योजना, समयबद्ध क्रियाएं और वैज्ञानिक गणनाओं की जरूरत होती है। इस पूरी प्रक्रिया को "रि-एंट्री" कहा जाता है।

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शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम अंतरिक्ष में 18 दिन रहने के बाद पृथ्वी पर वापस आने के लिए निकल चुके हैं। उनका स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन से अलग हो चुका है और धरती के लिए रवाना हो गया है। शुभांशु शुक्ला सीधे धरती पर लैंडिंग नहीं कर पाएंगे, उनका यान कई घंटों तक अंतरिक्ष में ही चक्कर काटेगा। नासा के अनुसार, शुभांशु शुक्ला का यान मंगलवार को भारतीय समयानुसार अपराह्न 3:01 बजे कैलिफ़ोर्निया के तट पर पहुंचने की उम्मीद है। अब सवाल ये है कि जब शुभांशु शुक्ला आज अंतरिक्ष से निकल चुके हैं, तो आज ही पृथ्वी पर क्यों नहीं पहुंचेंगे, कल दोपहर बाद क्यों धरती पर लैंड करेंगे? क्या है स्पेस रिटर्न की साइंस, जिसके कारण शुभांशु शुक्ला का यान 20 घंटे से ज्यादा समय तक अंतरिक्ष में ही चक्कर काटता रहेगा।

मंगलवार को धरती पर लैंड करेंगे शुभांशु शुक्ला (फोटो- axiom /NASA)

सीधे क्यों नहीं कर सकते धरती पर लैंड

15 जुलाई, 2025 को भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से धरती पर लौटना है। लेकिन एक सवाल सबके मन में है — जब धरती बस "नीचे" है, तो सीधे लैंड क्यों नहीं किया जा सकता? क्यों उन्हें 22 घंटे तक अंतरिक्ष में चक्कर लगाने होंगे? इस सवाल का जवाब साइंस में छिपा है — खासतौर पर कक्षा यांत्रिकी (orbital mechanics) और पुनः प्रवेश (re-entry) के नियमों में। आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।

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