एक्सप्लेनर्स

Explained: क्या होता है Splashdown? समुद्र में क्यों उतर रहा शुभांशु शुक्ला को लेकर आ रहा स्पेसक्राफ्ट?

एक्सिओम-4 मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य क्रू मेंबर मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिन के प्रवास के बाद 22.5 घंटे की यात्रा करके पृथ्वी पर वापस लौट रहे हैं और वह कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में उतरेंगे।
Shubhanshu Shukla

शुभांशु शुक्ला को लेकर आ रहा स्पेसक्राफ्ट करेगा स्प्लैशडाउन (Photo: NASA)

What Is Splashdown: स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान आज भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य चालक दल के सदस्यों को लेकर स्प्लैशडाउन के माध्यम से पृथ्वी पर वापस आ रहा है। प्रशांत महासागर में कैलिफोर्निया के तट पर स्पेसक्राफ्ट के स्प्लैशडाउन के साथ ही एक्सिओम मिशन 4 (Axiome Mission-4) का समापन हो जाएगा। एक्सिओम-4 मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य क्रू मेंबर मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिन के प्रवास के बाद 22.5 घंटे की यात्रा करके पृथ्वी पर वापस लौट रहे हैं और वह कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में उतरेंगे। खास बात है कि इस यान का टचडाउन नहीं बल्कि स्प्लैशडाउन होगा, आइए जानते हैं क्या होता है स्प्लैशडाउन और क्यों माना जाता है इसे सुरक्षित।

क्या है डी-ऑर्बिट बर्न?

अंतरिक्ष यान के पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करते ही भारतीय समयानुसार आज दोपहर दो बजकर सात मिनट पर प्रशांत महासागर के ऊपर ‘डी-ऑर्बिट बर्न’ होने की उम्मीद है। जब कोई अंतरिक्ष यान पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा होता है और उसे वापस धरती पर लाना होता है, तो उसकी गति को कम करना जरूरी होता है ताकि वह कक्षा से बाहर निकलकर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर सके। इसी गति को कम करने के लिए अंतरिक्ष यान के थ्रस्टर्स (छोटे इंजन) को एक निश्चित समय और दिशा में दागा जाता है। इस प्रक्रिया को ही ‘डी-ऑर्बिट बर्न’ कहते हैं।

स्प्लैशडाउन क्यों, टचडाउन क्यों नहीं?

टचडाउन में अंतरिक्ष यान ब्रेकिंग सिस्टम या पैराशूट की मदद से ठोस जमीन पर उतरता है। लेकन स्प्लैशडाउन (Splashdown) में यान पानी में उतरता है। आमतौर पर समुद्र में यान को उतारने की प्रक्रिया को धीमा करने के लिए पैराशूट का उपयोग किया जाता है। यान को पानी में उतारने की विधि आसान और सुरक्षित होने के कारण अंतरिक्ष एजेंसियां इसे पसंद करती हैं। नासा के विशेषज्ञों के मुताबिक, पानी एक प्राकृतिक कुशन की तरह काम करता है, जो कठोर जमीनी लैंडिंग की तुलना में अंतरिक्ष यात्रियों पर पड़ने वाले प्रभाव बल को कम करता है।

स्प्लैशडाउन तकनीक भारी और जटिल लैंडिंग गियर की जरूरत को भी खत्म कर देती है, जिससे अंतरिक्ष यान हल्का हो जाता है और दोबारा प्रवेश के दौरान संरचनात्मक नुकसान की संभावना कम हो जाती है। नासा ने मर्करी, जेमिनी और अपोलो मिशनों के बाद से स्प्लैशडाउन का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया है। हाल के वर्षों में नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ने पृथ्वी पर वापस लौटने के लिए स्प्लैशडाउन तरीका अपनाया था।

क्रू मेंबर्स 7 दिन के पुनर्वास कार्यक्रम में रहेंगे

यान के मंगलवार, 15 जुलाई, 2025 को लगभग दोपहर 3:00 बजे भारतीय समयानुसार कैलिफोर्निया तट के पास उतरने की उम्मीद है। इसरो ने मिशन पर अपने अपडेट में कहा कि स्प्लैशडाउन के बाद गगनयात्री पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल होने के लिए फ्लाइट सर्जन की देखरेख में एक पुनर्वास कार्यक्रम से गुजरेंगे जो लगभग सात दिन चलेगा। ये यान 580 पाउंड से अधिक कार्गो भी वापस लाएगा, जिसमें नासा के उपकरण और मिशन के दौरान किए गए 60 से अधिक प्रयोगों से हासिल वैज्ञानिक डेटा शामिल हैं।

स्पेसक्राफ्ट में कौन-कौन सवार?

  • शुभांशु शुक्ला - इसरो अंतरिक्ष यात्री
  • पेगी व्हिटसन - नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री और एक्सिओम स्पेस में मानव अंतरिक्ष उड़ान निदेशक
  • स्लावोज उज़्नान्स्की-विश्निएव्स्की - पोलैंड से ईएसए परियोजना अंतरिक्ष यात्री
  • तिबोर कापू - हंगरी के HUNOR कार्यक्रम के अंतरिक्ष यात्री

इसरो को मिलेगी बड़ी मदद

यह मिशन खास तौर पर भारत के गगनयान कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस पर इसरो (ISRO) को लगभग ₹550 करोड़ का खर्च आया है। इसने 2027 में होने वाली भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान गगनयान मिशन से पहले बेशकीमती अनुभव प्रदान किया है। शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष में मिला अनुभव गगनयान मिशन में बेहद काम आएगा और इसरो को अपना मिशन आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। एक्सप्लेनर्स (Explainer News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

अमित कुमार मंडल author

पत्रकारिता के सफर की शुरुआत 2005 में नोएडा स्थित अमर उजाला अखबार से हुई जहां मैं खबरों की दुनिया से रूबरू हुआ। यहां मिले अनुभव और जानकारियों ने खबरों ...और देखें

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited