9/11 की 'डस्ट लेडी': एक तस्वीर ने बदल दी जिंदगी, 10 साल तक डर के साये में जीने को हुईं मजबूर

9/11 हमले में बची एक महिला की दर्दनाक कहानी (PHOTO- TWITTER)
9/11 attack survivor story: अमेरिका की वो भयावह दास्तान जिसकी कल्पना दुनिया में किसी ने भी नहीं की थी। ट्विन टावर पर आतंकी हमले का वो दुखद मंजर आजतक दुनिया नहीं भूला पाई है। इसी हमले के बाद कई कहानियां और तस्वीरें वायरल हुई। इसी में एक थी डस्ट लेडी की कहानी। डस्ट लेडी की वायरल तस्वीर के पीछे एक ऐसी महिला थी जिसने उस दिन ( 9/11) के आघात के साथ अपने जीवन का बाकी हिस्सा बिताया।
11 सितंबर, 2001 की सुबह, न्यूयॉर्क शहर में जीवन हमेशा के लिए बदल गया। यह दिन अमेरिकी इतिहास के सबसे अंधेरे दिनों में से शुमार किया जाता है जब हाईजैक किए गए विमानों ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टावर्स को निशाना बनाया। विमान आतंकियों के कब्जे में थे और उन्होंने अमेरिका पर कहर बरपा दिया। टावर्स जलने लगे और बाद में ढह गए। लोअर मैनहट्टन की सड़कों पर धूल, मलबा, और हजारों लोग अपनी जान बचाने के लिए भागते हुए देखे गए।
कैद हुई डस्ट लेडी की तस्वीर
उस दुखद मंजर के बीच एक तस्वीर कैमरे में कैद होती है। एक महिला जिसका चेहरा और कपड़े मोटी ग्रे राख में ढका हुआ था। वह महिला थी मार्सी बॉर्डर्स जिसे बाद में 9/11 की डस्ट लेडी के रूप में दुनिया भर में जाना गया। बॉर्डर्स उस समय 28 वर्ष की थीं। नॉर्थ टॉवर में बैंक ऑफ अमेरिका में काम कर रही थीं। जब पहला विमान टकराया तो वह बाकी लोगों की तरह ही बुरी तरह घबरा गई और उसे समझ में नहीं आया कि वो क्या करें, लेकिन वह बचने में सफल रहीं। धुएं और चीखों के बीच सीढ़ियों से वह भागती रही लेकिन वह ढहते टावर्स की धूल के बीच बुरी तरह फंस गई। जिंदगी और मौत से लड़ती उस महिला की तस्वीर वायरल हो गई जिसे डस्ट लेडी के नाम से जाना गया ।
जीने की चाह खत्म हो गई थी
बॉडर्स की बेटी नोएल ने न्यूज़ 12 को बताया कि बॉर्डर्स ने खुद माना था कि वह कभी पहले जैसी नहीं रहीं। उन्हें नहीं पता था कि उनकी तस्वीर ली गई है जब तक कि उन्होंने अपने चेहरे को हर जगह नहीं देखा। उनकी तस्वीर अखबारों, टेलीविजन, और ऑनलाइन हर जगह आ गई थी। बॉर्डर्स ने खुद कहा था कि मैंने लगभग 10 सालों में एक दिन का काम नहीं किया, और 2011 तक, मैं पूरी तरह से बिखर गई थी। हर बार जब मैंने एक विमान देखा, मैं घबरा गई। अगर मैंने किसी आदमी को एक इमारत पर देखा, तो मुझे यकीन था कि वह मुझे गोली मारने वाला है। न्यूयॉर्क पोस्ट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि मैंने क्रैक कोकीन पीना शुरू कर दिया, क्योंकि मैं जीना नहीं चाहती थी।
नहीं भरे उस आतंकी हमले के घाव
9/11 के कई बचे हुए लोगों की तरह, बॉर्डर्स ने कभी ना भरने वाले घावों का बोझ लंबे समय तक उठाया। उन्हें सुकून केवल 2011 में मिला, जब ओसामा बिन लादेन को मार दिया गया। उन्होंने कहा कि ईश्वर ने मेरे सबसे बड़े डर को खत्म कर दिया। मैं उसके बारे में सोते-सोते खो जाती थी, बिन लादेन के मेरे घर पर बमबारी करने के बुरे सपने देखती थी, लेकिन अब मुझे मानसिक शांति है।
धुओं के विषैले गुबार ने लील ली जिंदगी
लेकिन उस सुबह न्यूयॉर्क पर छाए विषैले धुएं ने पहले ही अपना असर दिखा दिया था। 2015 में केवल 42 वर्ष की उम्र में, मार्सी बॉर्डर्स पेट के कैंसर की जटिलताओं से मर गईं। उसका परिवार अब भी मानता है कि यह बीमारी उस धूल और रसायनों से जुड़ी थी जिन्हें उसने ट्विन टावर्स से भागते समय सांस लेने के दरम्यां हुई थी। मार्सी भी आतंकी हमले का शिकार बन गई और आतंकी हमले के 14 साल के बाद उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन वह इस सुकून के साथ मरी कि इस आतंकी हमले की तबाही के सरगना ओसामा बिन लादेन को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मिट्टी में मिला दिया ।
9/11 हमलों में कुल 2,977 लोग मारे गए थे
अमेरिका में 11 सितंबर, 2001 को हुए भीषण आतंकी हमलों को 9/11 हमलों के नाम से जाना जाता है। अलकायदा के आतंकवादियों द्वारा किए गए इन हमलों में कुल 2,977 लोग मारे गए थे, जिनमें वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के कई वित्तीय कर्मचारी और अग्निशमन कर्मी तथा पुलिस अधिकारी शामिल थे, जो जलती हुई इमारतों में लोगों की जान बचाने के लिए पहुंचे थे।
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