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कौन हैं नवीन रामगुलाम? कभी गिरमिटिया मजदूर बनकर बिहार से मॉरीशस पहुंचे थे दादा, आज हाथों में है देश की कमान

77 साल के नवीन रामगुलाम लंबे समय से मॉरिशस की लेबर पार्टी के नेता हैं और इससे पहले भी दो बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। उन्होंने पहली बार 1995 से 2000 तक और दूसरी बार 2005 से 2014 तक मॉरीशस की कमान संभाली।
Navin ramgoolam

मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम (Facebook)

मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम इन दिनों भारत दौरे पर हैं। रामगुलाम 10 से 12 सितंबर तक वाराणसी के तीन दिवसीय दौरे पर भी पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 सितंबर को अपने एक दिवसीय दौरे के दौरान मॉरीशस के प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। रामगुलाम गंगा आरती में भी शामिल होंगे। रामगुलाम 12 सितंबर की सुबह प्रस्थान करने से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे। भारत से संबंधों के बीच जानने की कोशिश करते हैं कि रामगुलाम परिवार ने किस तरह मॉरीशस में अपनी पहचान बनाई और नवीन रामगुलाम देश के शीर्ष पद तक पहुंचे।

बिहार से मॉरीशस पहुंचे थे नवीन रामगुलाम के दादा

डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम नवंबर 2024 में मॉरीशस के तीसरी बार प्रधानमंत्री बने थे। उनकी जड़ें बिहार के भोजपुर जिले के आरा स्थित हरीगांव से जुड़ी हैं। नवीन रामगुलाम के दादा मोहित रामगुलाम सन् 1800 में कोलकाता बंदरगाह से मॉरीशस गिरमिटिया मजदूर के रूप में गए थे। यहां परिवार ने अथक मेहनत से खुद को स्थापित किया और अपनी पहचान बनाई। उनके बेटे शिवसागर ने 1968 में देश की आजादी में अहम योगदान दिया था और उन्हें देश के संस्थापक पिता के रूप में मान्यता हासिल है। शिवसागर रामगुलाम ने 1985 में अपनी मृत्यु तक मॉरीशस की लेबर पार्टी के नेता के रूप में कार्य किया और इस दौरान प्रधानमंत्री भी बने। बाद में उनके बेटे नवीन रामगुलाम ने पीएम पद तक का सफर तय किया।

परिवार ने कैसे तय किया सफर?

77 साल के नवीन रामगुलाम लंबे समय से मॉरिशस की लेबर पार्टी के नेता हैं और इससे पहले भी दो बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। उन्होंने पहली बार 1995 से 2000 तक और दूसरी बार 2005 से 2014 तक मॉरीशस की कमान संभाली। उनके परिवार का 1968 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से मॉरिशस की राजनीति पर प्रभुत्व रहा है। उनके पिता शिवसागर रामगुलाम ने मॉरिशस के आजादी के आंदोलन का नेतृत्व किया था और उन्हें देश के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। शिवसागर देश के पहले प्रधानमंत्री थे और इस पद पर 1982 तक रहे। दिलचस्प है कि उनके बेटे नवीन रामगुलाम शुरू में राजनीति में नहीं थे, बल्कि एक डॉक्टर थे। जब राजनीति में आए तो पिता की तर्ज पर प्रधानमंत्री पद संभाला।

राजनीति से पहले क्या करते थे नवीन?

नवीन रामगुलाम 1970 के दशक में डॉक्टर बने और मॉरीशस के अलावा आइसलैंड और ब्रिटेन में भी डॉक्टरी की। 1990 के दशक में उन्होंने ब्रिटेन में वकालत भी शुरू कर दी थी। धीरे-धीरे राजनीतिक करियर भी शुरू किया। वो जल्द ही मॉरिशस में लेबर पार्टी के नेता बन गए और पीएम पद तक पहुंचे। इस दौरान उन्हें उतार-चढ़ाव का भी सामने करना पड़ा। दो बार प्रधानमंत्री रहने के बाद 2014 और 2019 में उन्हें चुनावों में हार का सामना भी करना पड़ा।

कब-कब झेली हार?

2019 में रामगुलाम को प्रविंद जगन्नाथ के हाथों हार झेलनी पड़ी। इसी तरह 2014 चुनाव में उन्हें जगन्नाथ के पिता अनिरुद्ध जगन्नाथ ने हराया था। इसके दो महीने बाद उन्हें कई आरोपों में गिरफ्तार कर लिया गया। उनपर न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने के षडयंत्र और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे, जो कभी साबित नहीं हो पाए। उन्होंने इन आरोपों को बदले की राजनीति करार दिया। लेकिन 2024 की जीत से उनके 10 साल के राजनीतिक वनवास का अंत हो गया।

भारत से मॉरीशस के घनिष्ठ संबंध

भारत के मॉरीशस के साथ घनिष्ठ और दीर्घकालिक संबंध हैं, जो साझा इतिहास, जनसांख्यिकी और संस्कृति पर आधारित हैं। मॉरीशस उन चुनिंदा महत्वपूर्ण देशों में से एक था जिनके साथ स्वतंत्र भारत ने 1948 में मॉरीशस की स्वतंत्रता से भी पहले, राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। नेतृत्व स्तर पर उच्च स्तर के विश्वास और आपसी समझ और निरंतर उच्च-स्तरीय राजनीतिक जुड़ाव ने इस संबंध को विशिष्ट बनाया है।

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अमित कुमार मंडल author

पत्रकारिता के सफर की शुरुआत 2005 में नोएडा स्थित अमर उजाला अखबार से हुई जहां मैं खबरों की दुनिया से रूबरू हुआ। यहां मिले अनुभव और जानकारियों ने खबरों ...और देखें

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