Nepal Gen Z Violence: नेपाल में आज हो सकता है अंतरिम प्रधानमंत्री का ऐलान? रेस में सबसे आगे है ये नाम: सेना पर टिकी सारी निगाहें

नेपाल में अंतरिम प्रधानमंत्री के नाम पर नाम तय करने को लेकर आज हाईलेवल मीटिंग होगी।(फोटो सोर्स: AP)
Nepal Gen Z Violence: नेपाल की सत्ता आखिर किस के हाथ मे होगी इसको लेकर आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। आज आर्मी हेडक्वार्टर मे फिर एक महत्वपूर्ण बैठक होगी। यह बैठक आर्मी चीफ और नेपाल के राष्ट्रपति और नेपाल में कानून के कुछ बड़े जानकारों के बीच होगी ताकि नेपाल में अंतरिम प्रधानमंत्री के नाम पर नाम तय किया जा सके।
सूत्रों के मुताबिक आज फिर सुशीला कार्की भी इस मीटिंग में शामिल होंगी। नेपाल के संविधान संगत ही नेपाल में अंतरिम प्रधानमंत्री के नाम को तय किया जाएगा।
पीएम की रेस में सुशीला कार्की का नाम सबसे आगे
सूत्रों के मुताबिक अगर नेपाल के संविधान संगत यह फैसला लिया जाएगा जैसा तय भी है तो लगभग यह तय माना जा रहा है की नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ही नेपाल के प्रेसीडेंट और आर्मी चीफ की पहली पसंद है। जिसके सीधे मायने है की नेपाल का अंतरिम प्रधनमंत्री सुशीला कार्की को बनाया जा सकता है। सूत्रों का दावा है कि gen z कई ग्रुप्स में बंट गया है, जिससे एक राय नही बन पा रही है। बता दें कि गुरुवार को gen z यानी युवाओं के अगल-अलग ग्रुप में नामों को लेकर झगड़ा भी हुआ।
बैठक में कई पार्टियों के नेता हुए शामिल
Gen Z की का आरोप है कि आर्मी चीफ ने बैठक में राजनीतिक दल के नेताओं को भी बुलाया था। कल आर्मी चीफ की ओर से बुलाई बैठक में राजावादी नेता दुर्गा परसाई और RSP के नेताओं को भी बुलाया गया था। Gen Z के एक ग्रुप की मांग है कि संसद और संविधान में मौजूदा व्यवस्था के तहत ही सरकार का गठन हो। कुछ पोलिटिकल पार्टियां भी अब संसद भंग नहीं करना चाहती है और मौजूदा संविधान की व्यवस्था के अंदर ही सरकार का गठन चाहती है।
नेपाल में कैसे होता है प्रधानमंत्री का चुनाव?
नेपाल में प्रधानमंत्री का चुनाव नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 में वर्णित प्रक्रिया के तहत होता है। इसमें राष्ट्रपति प्रतिनिधि सभा में बहुमत प्राप्त पार्टी के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करते हैं। यदि कोई भी पार्टी पूर्ण बहुमत में नहीं होती है, तो राष्ट्रपति उन दलों के गठबंधन के नेता को नियुक्त करते हैं जिनके पास बहुमत होता है।
यदि स्पष्ट बहुमत वाला गठबंधन भी न बन पाए, तो राष्ट्रपति प्रतिनिधि सभा की सबसे बड़ी पार्टी के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करते हैं, जिन्हें 30 दिनों के भीतर विश्वास मत प्राप्त करना अनिवार्य होता है। अगर यह विश्वास मत असफल हो जाता है, तो प्रक्रिया आगे बढ़ती है और ऐसे सदस्य की तलाश की जाती है जो सदन का विश्वास हासिल कर सके। यदि कोई भी ऐसा सदस्य न मिल पाए, तो नए चुनाव कराए जाते हैं।
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