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'गलत इस्तेमाल किसी भी व्यवस्था का हो सकता है', PM, CM-मंत्रियों को हटाने वाले बिल के समर्थन में PK

पीके ने कहा कि विपक्ष का आरोप है कि सरकार अपने विरोधी मुख्यमंत्रियों को जेल में बंद करना चाहती है। आप यदि किसी विधेयक को तैयार करते हैं तो उसके गलत इस्तेमाल की आशंका बनी रहेगी। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्थान है। लोग इस पर भी अंगुली उठा और कदाचार का आरोप लगा रहे हैं। इसमें कुछ तथ्य भी हैं। ऐसे में किसी भी व्यवस्था का गलत इस्तेमाल हो सकता है।
Prashant Kishor

जनसुराज पार्टी के संस्थापक हैं प्रशांत किशोर। तस्वीर-PTI

Prashant Kishor: प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों एवं मंत्रियों को हटाने वाले विधेयक पर प्रतिक्रिया देते जनसुराज पार्टी के मुखिया प्रशांत किशोर (PK) ने गुरुवार को कहा कि इस विधेयक को जेपीसी के पास भेज दिया गया है। यदि इस विधेयक की मंशा गलत नहीं है तो इसके प्रावधान अच्छे हैं। पीके ने कहा कि विपक्ष का आरोप है कि सरकार अपने विरोधी मुख्यमंत्रियों को जेल में बंद करना चाहती है। आप यदि किसी विधेयक को तैयार करते हैं तो उसके गलत इस्तेमाल की आशंका बनी रहेगी। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्थान है। लोग इस पर भी अंगुली उठा और कदाचार का आरोप लगा रहे हैं। इसमें कुछ तथ्य भी हैं। ऐसे में किसी भी व्यवस्था का गलत इस्तेमाल हो सकता है।

विपक्षी सदस्यों ने विधेयकों की प्रतियां फाड़ी

गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार और लगातार 30 दिन हिरासत में रखे गए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद से हटाने के प्रावधान वाले तीन विधेयक बुधवार को लोकसभा में पेश किए जाने के दौरान हंगामे की स्थिति रही और विपक्षी सदस्यों ने विधेयकों की प्रतियां फाड़ी तथा कागज फाड़कर भी उछाले। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के विरोध और हंगामे के बीच सदन में ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025’, ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025’ और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025’ पेश किए। बाद में उनके प्रस्ताव पर सदन ने तीनों विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने का निर्णय लिया।

लोकसभा में विपक्ष ने किया हंगामा

इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के कुछ सदस्यों को आमने-सामने आते हुए देखा गया और उनके बीच तीखी नोकझोंक हुई। तृणमूल कांग्रेस के कुछ सदस्यों को इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह की ओर बढ़ते देखा गया। दो बार के स्थगन के बाद सदन की बैठक दोपहर 2 बजे फिर शुरू हुई तो विपक्षी सदस्य पहले से ही खड़े होकर इन तीनों विधेयकों के खिलाफ नारे लगा रहे थे जिन्हें सरकार पेश करने जा रही थी। तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने विधेयक की प्रतियां फाड़ दीं और कागज़ के टुकड़े गृह मंत्री के सामने फेंके। इस दौरान गृह मंत्री विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव पेश कर रहे थे। इसी हंगामे में, तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी को शाह के सामने लगे माइक्रोफ़ोन को खींचते हुए और उसके पास नारे लगाने की कोशिश करते देखा गया।

उधर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद भी आसन के सामने मौजूद विपक्षी सांसदों की तरफ बढ़ने लगे। केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू जहां सत्ता पक्ष के आगे वाली सीटों के सामने आ गए, वहीं संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू को गृह मंत्री के बगल में खड़े देखा गया। कांग्रेस सदस्य जोतिमणि और प्रणीति शिंदे विपक्षी सदस्यों के बीच विधेयकों की प्रतियां बांटती नजर आईं। विपक्षी सदस्यों ने विधेयक की प्रतियों को फाड़ दिया और कागज के टुकड़े उछालने लगे।

संयुक्त समिति के पास गया विधेयक

लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्ष के इस आचरण की कड़ी निंदा की और कहा कि उनके कार्यों ने लोकसभा की मर्यादा को ठेस पहुंचाई है। सदन की कार्यवाही पुनः शुरू होते ही शाह सदन में आए और अपनी सामान्य अग्रिम पंक्ति की सीट की बजाय पिछली पंक्ति में बैठ गए। उन्होंने तीनों विधेयकों को गहन परीक्षण के लिए संसद की संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने पारित कर दिया। हंगामा जारी रहने पर लोकसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही शाम 5:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

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आलोक कुमार राव author

आलोक कुमार राव न्यूज डेस्क में कार्यरत हैं। यूपी के कुशीनगर से आने वाले आलोक का पत्रकारिता में करीब 19 साल का अनुभव है। समाचार पत्र, न्यूज एजेंसी, टेल...और देखें

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