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राजधानी दिल्ली से जुड़े हाईवे की हालत पर संसद समिति गंभीर, ट्रैफिक और सड़क गुणवत्ता पर उठाए सवाल

सांसदों ने निर्माण की खराब गुणवत्ता और बार-बार मरम्मत की जरूरत को लेकर भी चिंता जताई। उनका कहना था कि भारी धनराशि खर्च करने के बावजूद सड़कों की स्थिति कई इलाकों में अत्यंत खराब बनी हुई है, जिससे यात्रियों की जान जोखिम में पड़ रही है।
Roads Delhi

दिल्ली से जुड़े हाईवे की हालत पर संसदीय कमेटी ने उठाए सवाल

Parliamentary Committee On Highways: देश की राजधानी दिल्ली से जुड़े राष्ट्रीय राजमार्गों की बदहाल स्थिति को लेकर संसद की स्थायी समिति ने हाल ही में एक अहम बैठक की। यह समिति परिवहन, पर्यटन और संस्कृति मामलों से जुड़ी है। इस मीटिंग में खासतौर पर दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और राजस्थान को जोड़ने वाले रास्तों की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की गई। बैठक में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे, जिन्होंने वर्तमान हालात की विस्तृत जानकारी दी। विपक्षी सांसदों ने अधूरे राजमार्गों पर टोल वसूली को अनुचित ठहराया। उनका कहना था कि जब तक सड़कें पूरी तरह से बन नहीं जातीं, तब तक लोगों से टोल वसूलना गलत है और यह जनता के साथ अन्याय है।

सड़क की खराब गुणवत्ता और सुरक्षा पर चिंता

सांसदों ने निर्माण की खराब गुणवत्ता और बार-बार मरम्मत की जरूरत को लेकर भी चिंता जताई। उनका कहना था कि भारी धनराशि खर्च करने के बावजूद सड़कों की स्थिति कई इलाकों में अत्यंत खराब बनी हुई है, जिससे यात्रियों की जान जोखिम में पड़ रही है। कई सांसदों ने यह मुद्दा भी उठाया कि दिल्ली से सटे हाईवे पर अनधिकृत कट, अवैध पार्किंग और सड़क किनारे बने ढाबे दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। कांग्रेस के एक सांसद ने कहा कि कुछ ढाबा मालिकों ने अपने हितों के लिए हाईवे पर अवैध कट बना लिए हैं। समिति ने ऐसे कटों को तुरंत बंद करने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।

कालिंदी कुंज टोल पर समाधान का सुझाव

कालिंदी कुंज स्थित नगर निगम के टोल प्लाजा को लेकर भी बैठक में गंभीर चर्चा हुई। सांसदों ने कहा कि यहां पिक आवर में भारी ट्रैफिक जाम लगता है जिससे यात्रियों को रोजाना परेशानी उठानी पड़ती है। उन्होंने सुझाव दिया कि टोल वसूली के लिए अलग लेन बनाई जाए या फिर टोल प्रणाली को हाईटेक बनाया जाए ताकि ट्रैफिक का बहाव बाधित न हो।

तकनीकी उपायों पर दिया गया जोर

समिति ने ट्रैफिक प्रबंधन में आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल पर बल दिया। रीयल टाइम डेटा मॉनिटरिंग, ऑटोमैटिक ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम और डेटा एनालिटिक्स की मदद से न केवल ट्रैफिक नियंत्रण में सुधार किया जा सकता है, बल्कि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर भी निगरानी रखी जा सकती है।

पुलिस को भी दिए सुझाव

हरियाणा और उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी बैठक में आमंत्रित किया गया था। उन्हें ट्रैफिक व्यवस्था और सड़क सुरक्षा से संबंधित तकनीकी उपायों की जानकारी दी गई। समिति ने स्पष्ट किया कि दिल्ली से सटे हाईवे सिर्फ रास्ते नहीं बल्कि देश की राजधानी की धमनियाँ हैं, जिनके अवरुद्ध होने से पूरे देश की कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है।

भविष्य की दिशा

सूत्रों के मुताबिक, परिवहन मंत्रालय समिति द्वारा उठाए गए सवालों और सुझावों का जवाब लिखित रूप में देगा। इसके साथ ही, समिति की सिफारिशों के आधार पर जल्द सुधारात्मक कदम उठाए जाने की संभावना है। अब निगाहें इस बात पर होंगी कि मंत्रालय इन सुझावों को किस हद तक लागू कर पाता है और इसका जमीन पर कितना असर दिखता है।

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रंजीता झा author

13 साल के राजनीतिक पत्रकारिता के अनुभव में मैंने राज्य की राजधानियों से लेकर देश की राजधानी तक सियासी हलचल को करीब से देखा है। प्लांट की गई बातें ख़बरे...और देखें

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