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राहुल को क्यों देना चाहिए शपथ पत्र और बिहार में क्यों जरूरी था SIR...पढ़िए EC के प्रेस कांफ्रेंस की 10 बड़ी बातें

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर उठ रही राजनीतिक बहस के बीच साफ किया है कि इस प्रक्रिया का मकसद केवल मतदाता सूची में मौजूद त्रुटियों को दुरुस्त करना है, लेकिन कुछ राजनीतिक दल इस संवेदनशील प्रक्रिया को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ नेता आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर राजनीति कर रहे हैं और ‘वोट चोरी’ जैसे निराधार आरोप लगाकर जनता को गुमराह कर रहे हैं।
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SIR और वोट चोरी के आरोपों पर चुनाव आयोग की प्रेस कांफ्रेंस (फोटो- EC)

चुनाव आयोग ने रविवार को दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए जहां एक ओर विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया तो वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी के दावों पर कटाक्ष भी किया और निशाना भी साधा। इस प्रेस कांफ्रेंस की अगुवाई मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने की। ज्ञानेश कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग को राजनीति के लिए निशाना बनाया जा रहा है। ज्ञानेश कुमार ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का 56 घंटे के अंदर अनुपालन करते हुए हर जिले की सूची प्रकाशित कर दी गई है।

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पढ़िए EC के प्रेस कांफ्रेंस की 10 बड़ी बातें

  1. अगर चुनाव याचिकाएं 45 दिन के भीतर दायर नहीं की जातीं, लेकिन वोट चोरी के आरोप लगाए जाते हैं, तो यह भारतीय संविधान का अपमान है। न तो आयोग और न ही मतदाता दोहरे मतदान और ‘वोट चोरी’ के ‘‘निराधार आरोपों’’ से डरते हैं। चुनाव प्रक्रिया में एक करोड़ से ज्यादा कर्मचारी लगे हुए हैं। क्या इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में ‘वोट चोरी’ हो सकती है?’’
  2. मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि कई दलों की शिकायतों और देश के भीतर मतदाताओं के प्रवास के मद्देनजर नवीनतम एसआईआर आवश्यक हो गया था। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को कहा कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का उद्देश्य मतदाता सूचियों में सभी त्रुटियों को दूर करना है और यह गंभीर चिंता का विषय है कि कुछ दल इसके बारे में गलत सूचना फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ दल ‘‘आयोग के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहे हैं।’’ जाने-अनजाने में, प्रवास और अन्य समस्याओं के कारण कुछ लोगों के पास कई मतदाता पहचान पत्र हो गए... यह एक मिथक है कि एसआईआर जल्दबाजी में किया गया है। हर चुनाव से पहले मतदाता सूचियों में सुधार करना निर्वाचन आयोग का कानूनी कर्तव्य है।
  3. मुख्य चुनाव आयुक्त ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दोहरे मतदान और ‘वोट चोरी’ के आरोपों को निराधार करार दिया तथा कहा कि सभी हितधारक पारदर्शी तरीके से एसआईआर को सफल बनाने के लिए काम कर रहे हैं। विपक्ष द्वारा बिहार में एसआईआर के समय पर सवाल उठाए जाने पर कुमार ने कहा कि यह एक मिथक है कि एसआईआर जल्दबाजी में किया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक चुनाव से पहले मतदाता सूची को सही करना निर्वाचन आयोग का कानूनी कर्तव्य है।
  4. निर्वाचन आयोग के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं तथा बूथ स्तर के अधिकारी और एजेंट पारदर्शी तरीके से मिलकर काम कर रहे हैं। निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों के बीच भेदभाव नहीं कर सकता तथा सत्तारूढ़ और विपक्षी दल, दोनों ही चुनाव प्राधिकार के लिए समान हैं।
  5. मशीन रीडेबल फॉर्मेट मे वोटर लिस्ट नहीं दी जा सकती है। ये प्राइवेसी का हनन है। सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में अपने आदेश में कहा था कि मशीन रीडेबल सूची वोटर की प्राइवेसी का हनन करता है। रीडेबल सूची को एडिट करके सर्च किया जा सकता है। ऐसे में रीडेबल लिस्ट नहीं दी जा सकती है
  6. पिछले 20 सालों से हर साल वोटर लिस्ट का रिवीजन होता रहा है। लेकिन इंटेंसिव रिवीजन नहीं हुआ। इससे पहले करीब 10 बार इंटेंसिव रिवीजन हुआ है मतदाता सूची का। जाने अनजाने में लोगों के कई नाम दो जगह मतदाता सूची में आजाते हैं। ऐसे में मतदाता सूची की शुद्धि के लिए गणना प्रपत्र भरने के लिए कोई और विकल्प नहीं होता है। भारत के संविधान के मुताबिक भारत का नागरिक ही अपने सांसद और विधायक का चुनाव कर सकता है। ऐसे लोगों ने अगर फॉर्म भर दिया है तो दस्तावेजों के जरिए उनकी गहन जांच होगी। जो लोग भारत के नागरिक नहीं होंगे उनका वोटर कार्ड नहीं बनेगा।
  7. शिकायत करने, भ्रम फैलाने और चुनाव आयोग पर आरोप लगाने में फर्क होता है। अगर आप उस विधानसभा क्षेत्र के वोटर नहीं है तो आपको शिकायत के लिए शपथ पत्र देना होगा। मकान नंबर ‘जीरो’ का मतलब फर्जी मतदाता नहीं; ऐसे कई लोग हैं जिनके पास मकान नंबर नहीं है। बिहार में 22 लाख ‘मृत मतदाता’ पिछले छह महीनों में नहीं, बल्कि पिछले कई साल में मरे हैं, हालांकि इसे रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया गया।
  8. जहां तक पश्चिम बंगाल के SIR की तारीख का सवाल है तो हम तीनों कमिश्नर उचित समय देखकर निर्णय लेंगे, चाहे वह पश्चिम बंगाल में हो या देश के अन्य राज्यों में, आने वाले समय में इसकी तारीखों की घोषणा की जाएगी।
  9. हमने कुछ दिन पहले देखा कि कई मतदाताओं की तस्वीरें बिना उनकी अनुमति के मीडिया के सामने पेश की गईं। उन पर आरोप लगाए गए, उनका इस्तेमाल किया गया। क्या चुनाव आयोग को मतदाताओं, उनकी माताओं, बहुओं या बेटियों के सीसीटीवी फुटेज साझा करने चाहिए? मतदाता सूची में जिनके नाम होते हैं, वे ही अपने उम्मीदवार को चुनने के लिए वोट डालते हैं।
  10. लोक प्रतिनिधित्व कानून, जो सभी के लिए समान है, में यदि आप उस निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचक हैं, तो आपको समय पर शिकायत करने का पूरा अवसर मिलता है, आप फॉर्म 6, फॉर्म 7, फॉर्म 8 भर सकते हैं... बशर्ते आप उस विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक हों। लेकिन यदि आप वहां के निर्वाचक नहीं हैं और आप अपनी शिकायत को आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो आपके पास कानून में केवल एक ही विकल्प है और वह है निर्वाचन नियमों का पंजीकरण, नियम संख्या 20 उपखंड 3 उपखंड बी जो कहता है कि यदि आप उस विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक नहीं हैं, तो आप एक गवाह के रूप में अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं और निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी को आपको शपथ देनी होगी। आगे चुनाव आयोग ने कहा कि यदि सात दिन के भीतर हलफनामा नहीं दिया गया तो दावों को निराधार और अमान्य माना जाएगा: राहुल गांधी के आरोपों पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा

विपक्ष का आरोप

निर्वाचन आयोग का यह बयान ऐसे समय आया है, जब कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल अन्य दलों ने कथित ‘वोट-चोरी’ के खिलाफ चुनावी राज्य बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ शुरू की। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने रविवार को आरोप लगाया कि बिहार मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के जरिए ‘‘चुनाव चोरी’’ करने की साजिश की जा रही है, लेकिन विपक्ष ऐसा नहीं होने देगा। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने बिहार के सासाराम से ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत से पहले आयोजित सभा में यह दावा भी किया कि अब सबको पता चल गया है कि पूरे देश में ‘‘वोट की चोरी’’ की जा रही है।

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गौरव श्रीवास्तव author

टीवी न्यूज रिपोर्टिंग में 10 साल पत्रकारिता का अनुभव है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से लेकर कानूनी दांव पेंच से जुड़ी हर खबर आपको इस जगह मिलेगी। साथ ही चुना...और देखें

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