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चीन से चेंगदू J-10C क्यों खरीदने जा रहा ईरान, केवल बैलिस्टिक मिसाइल, ड्रोन से नहीं चलेगा काम?

युद्ध में ईरान की वायु सेना के सक्रिय रूप से हिस्सा नहीं लेने की कुछ वजहें हैं। जानकार मानते हैं कि ईरान की वायु सेना के फाइटर जेट्स काफी पुराने हो चुके हैं। वे आज के नहीं हैं। ईरान के लड़ाकू जहाजों के बेड़े में 1979 यानी 'इस्लामिक क्रांति' के पहले के फाइटर प्लेन हैं। ईरान के पास एफ-4 फैंथम, एफ-5ई/एफ टाइगर्स, एफ-14ए टॉमकैट्स और मिग-29। ये अमेरिकी और सोवियत काल के हैं।
iran fighter plane

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामनेई।

Iran to buy fighter Jets from China : ईरान-इजरायल के बीच करीब 12 दिन चले युद्ध में दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ जमकर हवाई हथियारों का इस्तेमाल किया। एक-दूसरे के ठिकानों एवं सैन्य प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाने के लिए ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइल और फाइटर जेट्स से हमले किए। इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) का दावा था कि इस युद्ध में ईरान के आसमान पर उसकी वायु सेना का दबदबा रहा और उसके फाइटर प्लेन बिना किसी ईरानी खतरे का सामना करते हुए बेखौफ होकर उड़ान भरते रहे। जाहिर है कि इजरायल की वायु सेना ने अपने हमलों से ईरान को भारी क्षति पहुंचाई। तो ईरान की वायु सेना इजरायल को जवाब नहीं दे पाई। या कहिए कि इस युद्ध में ईरानी वायु सेना एक तरीके से ओझल ही रही। आसमान में न तो उसके फाइटर जेट्स नजर आए और न ही उसने इजरायल के लड़ाकू जहाजों का पीछा कर उन्हें खदेड़ा ही।

1979 से पहले के हैं ईरान के फाइटर प्लेन

युद्ध में ईरान की वायु सेना के सक्रिय रूप से हिस्सा नहीं लेने की कुछ वजहें हैं। जानकार मानते हैं कि ईरान की वायु सेना के फाइटर जेट्स काफी पुराने हो चुके हैं। वे आज के नहीं हैं। ईरान के लड़ाकू जहाजों के बेड़े में 1979 यानी 'इस्लामिक क्रांति' के पहले के फाइटर प्लेन हैं। ईरान के पास एफ-4 फैंथम, एफ-5ई/एफ टाइगर्स, एफ-14ए टॉमकैट्स और मिग-29। ये अमेरिकी और सोवियत काल के हैं। लंदन स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज (IISS) का कहना है कि इनमें से ज्यादातर प्लेन पुराने और इस हालत में पहुंच गए हैं कि इनका अपग्रेडेशन नहीं हो सकता।

पहले रूस से सू-35 खरीदना चाह रहा था

इजरायल के साथ इस युद्ध में ईरान आधुनिक फाइटर जेट्स की कमी महसूस हुई है। अब वह अपनी इस कमी को दूर करना चाहता है। इसके लिए उसने आधुनिक एवं उन्नत फाइटर प्लेन खरीदने का फैसला किया है। रिपोर्टों के मुताबिक ईरान चीन से उसका आधुनिक फाइटर प्लेन चेंगदू J-10C खरीदने जा रहा है। द मास्को टाइम्स और यूक्रेन की न्यूज एजेंसी RBC यूक्रेन के मुताबिक ईरान पहले रूस से SU-35 खरीदना चाह रहा था लेकिन इसकी कीमत ज्यादा होने की वजह से उसे चीन के इस फाइटर प्लेन को खरीदने के लिए आगे आना पड़ा है। ईरान के चीन के पास जाने की दो वजहें बताई गई हैं एक तो रूसी लड़ाकू जहाज कीमत ज्यादा है और दूसरी इसकी आपूर्ति में वर्षों का समय लग सकता है। चीन जे-10 सी सिंगल सीटर फाइटर प्लेन और रूसी जेट्स से इसकी कीमत प्रति विमान 40-60 मिलियन डॉलर कम है।

4.5 पीढ़ी का लड़ाकू जहाज है जे-10 सीरिपोर्टों के मुताबिक चेंगदू जे-10 सी खरीदने के लिए ईरान ने अपनी बातचीत तेज कर दी है। चीन का यह जे-10 सी 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू जहाज है और इसमें चीन की PL-15 मिसाइलें लगती हैं। पाकिस्तान ने इन्हीं मिसाइलों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया था लेकिन ये मिसाइलें भारत को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाईं। ईरान की जे-10 लड़ाकू विमानों में रुचि लगभग दो दशक पुरानी है। वर्ष 2015 में 150 विमानों को लेकर एक डील की बातचीत शुरू हुई थी, लेकिन यह समझौता इसलिए विफल हो गया क्योंकि चीन ने भुगतान विदेशी मुद्रा में मांगा था, जबकि आर्थिक तंगी से जूझ रहा तेहरान केवल तेल और गैस के बदले भुगतान करने को तैयार था। उस समय ईरान पर संयुक्त राष्ट्र का हथियार प्रतिबंध भी लागू था, जिसने इस सौदे को और टाल दिया। यह जानकारी यूक्रेनी समाचार एजेंसी आरबीसी यूक्रेन की एक रिपोर्ट में दी गई है।

फोर्ब्स की मई 2025 की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान चीन से 36 जे-10सी लड़ाकू विमान खरीदने का इच्छुक था। हाल ही में, 2023 में हमास द्वारा इजरायल पर किए गए हमले के आसपास के समय, ईरान ने मास्को के साथ एक समझौते को अंतिम रूप देने की घोषणा की थी, जिसमें सुखोई सू-35 लड़ाकू विमान, एमआई-28 अटैक हेलीकॉप्टर, एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम और याक-130 ट्रेनर विमान शामिल थे। हालांकि, द वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस समझौते से ईरान को अब तक केवल प्रशिक्षण विमान ही प्राप्त हुए हैं।

जे-10 लड़ाकू विमान दाग सकते हैं सुपरसोनिक PL-15 मिसाइलें

चीन की चेंगदू एयरोस्पेस कॉर्पोरेशन द्वारा विकसित जे-10सी, ईरान की वायुसेना को आधुनिक बनाने में काफी अहम साबित हो सकते हैं। ईरान जिस जे-10सी वैरिएंट को चाहता है, वह AESA रडार और PL-15 लंबी दूरी की मिसाइलों से लैस है, जो उसे उच्च गतिशीलता और मल्टीरोल क्षमताएं प्रदान कर सकता है और यह कुछ हद तक यह इजरायल के कुछ फ्रंटलाइन जेट्स की तुलना में कारगर हो सकता है। यह विमान चीन में बने WS-10 इंजन द्वारा संचालित होता है और इसकी डेल्टा विंग-कनार्ड डिजाइन उसे डॉगफाइट में अत्यधिक फुर्ती देती है। जे-10सी की विशेषता इसका AESA रडार है, जो लक्ष्य को ट्रैक करने और जैमिंग के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

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आलोक कुमार राव author

आलोक कुमार राव न्यूज डेस्क में कार्यरत हैं। यूपी के कुशीनगर से आने वाले आलोक का पत्रकारिता में करीब 19 साल का अनुभव है। समाचार पत्र, न्यूज एजेंसी, टेल...और देखें

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