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नौसेना को मिला अपना आखिरी विदेशी युद्धपोत, INS तमाल रूस में हुआ कमीशन, जानें क्या है इसकी ताकत

INS तमाल 125 मीटर लंबा और 3900 टन वजनी है, जो 30 नॉट्स से अधिक की गति पर संचालन करने में सक्षम है। ‘द ग्रेट बियर्स’: जहाज का प्रतीक चिन्ह भारतीय पौराणिक पात्र जाम्बवन्त और रूस के यूरेशियन ब्राउन बीयर से प्रेरित है। इसका आदर्श वाक्य है – ‘सर्वदा सर्वत्र विजय’। 26% स्वदेशी उपकरण, जिनकी संख्या अब बढ़कर 33 हो गई है।
Indian Navy Warship INS Tamal

भारतीय नौसेना को अपना अंतिम विदेशी युद्धपोत मिल गया।

Indian Navy Warship Tamal : भारतीय नौसेना ने मंगलवार को एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। उसने अपना नवीनतम स्टील्थ मल्टी-रोल फ्रिगेट INS तमाल रूस के यांतर शिपयार्ड, कालिनिनग्राद में आधिकारिक रूप से कमीशन कर लिया। यह फ्रिगेट नौसेना के 'तुषिल क्लास' का दूसरा और 'क्रिवाक क्लास' का आठवां युद्धपोत है, जो भारत और रूस की दशकों पुरानी रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक है। समारोह की अध्यक्षता वाइस एडमिरल संजय जे. सिंह, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, पश्चिमी नौसेना कमान ने की। INS तमाल अब पश्चिमी नौसेना बेड़े का हिस्सा बनेगा, जिसे भारतीय नौसेना की ‘स्वॉर्ड आर्म’ कहा जाता है।

क्या है INS तमाल की खासियत?

भारत में अंतिम विदेशी निर्मित युद्धपोत: INS तमाल, भारत का ऐसा अंतिम युद्धपोत है जो विदेशी यार्ड (रूस) में तैयार हुआ है। अब से सभी युद्धपोत भारत में ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत बनाए जाएंगे।

आधुनिक हथियारों से है लैस

जहाज में अत्याधुनिक ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल सिस्टम, वर्टिकल लॉन्च SAM, हैवीवेट टॉरपीडो, रडार, सोनार, और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट जैसे अत्याधुनिक हथियार और उपकरण शामिल हैं। इस जहाज के शस्त्रागार में अपने पूर्ववर्ती युद्धपोतों की तुलना में महत्वपूर्ण बदलाव किये गए हैं, जिनमें लंबवत प्रक्षेपित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, उन्नत 100 मिलीमीटर तोप, मानक 30 मिलीमीटर गन क्लोज-इन हथियार प्रणाली के आलावा आधुनिक समय की ईओ/आईआर प्रणाली, अत्यधिक भार वाले टारपीडो, तत्काल हमला करने वाले पनडुब्बी रोधी रॉकेट और अनेक निगरानी एवं अग्नि नियंत्रण रडार तथा अन्य प्रणालियां शामिल हैं। मारक प्रणालियों में बढ़ोतरी हेतु हवाई पूर्व चेतावनी और बहुउद्देश्यीय हेलीकॉप्टर भी तैनात हैं, जो तमाल के डेक से संचालित हो सकते हैं। युद्धपोत के लड़ाकू सामर्थ्य को नेटवर्क केंद्रित युद्धक क्षमताओं और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली द्वारा बढ़ाया गया है। तमाल अपने भार से कहीं अधिक शक्तिशाली है, इसका टनभार-से-अग्नि अनुपात भी बहुत ज्यादा है।

125 मीटर लंबा और 3900 टन वजनी है INS तमाल

26% स्वदेशी उपकरण, जिनकी संख्या अब बढ़कर 33 हो गई है। इसके निर्माण में भारत के कई प्रमुख रक्षा निर्माता जैसे ब्रह्मोस एरोस्पेस , BEL, केल्ट्रॉन, नोवा इंटिग्रेटेड सिस्टम (टाटा) ने योगदान दिया। यह युद्धपोत काफी मजबूत है। INS तमाल 125 मीटर लंबा और 3900 टन वजनी है, जो 30 नॉट्स से अधिक की गति पर संचालन करने में सक्षम है। ‘द ग्रेट बियर्स’: जहाज का प्रतीक चिन्ह भारतीय पौराणिक पात्र जाम्बवन्त और रूस के यूरेशियन ब्राउन बीयर से प्रेरित है। इसका आदर्श वाक्य है – ‘सर्वदा सर्वत्र विजय’।

देवताओं के राजा इंद्र की तलवार के नाम पर नामकरण

इस युद्धपोत का नाम तमाल रखा गया है, जो देवताओं के राजा इंद्र द्वारा युद्ध के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पौराणिक तलवार का प्रतीक है। इस जहाज का शुभंकर भारतीय पौराणिक कथाओं के अमर भालू राजा 'जाम्बवंत' और रूसी राष्ट्रीय पशु - यूरेशियन भूरे भालू की समानता से प्रेरित है। इस विध्वंसक युद्धपोत के चालक दल के सदस्य सामूहिक रूप से स्वयं को ‘द ग्रेट बियर्स’ कहलाने में बहुत गर्व महसूस करते हैं।

भारत-रूस रक्षा साझेदारी की मिसाल

INS तमाल के कमीशन के साथ ही भारत और रूस की दशकों पुरानी नौसेना सहयोग की परंपरा को नई ऊंचाई मिली है। भारत अब गोवा शिपयार्ड में दो और समान क्षमता वाले युद्धपोत बना रहा है, जो आने वाले वर्षों में नौसेना में शामिल होंगे। इस युद्धपोत में 250 से अधिक नौसैनिक हैं, जिन्होंने सेंट पीटर्सबर्ग और कालिनिनग्राद की कठोर सर्दियों में व्यापक प्रशिक्षण प्राप्त किया है। तमाल ने बीते तीन महीनों में कई गहन समुद्री परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इस परियोजना के तहत भारत में भी गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में रूसी तकनीक और डिजाइन सहयोग से त्रिपुट क्लास के दो फ्रिगेट्स का निर्माण किया जा रहा है। इस पूरी श्रृंखला के पूरा होने के बाद भारतीय नौसेना के पास समान क्षमताओं वाले 10 युद्धपोत होंगे। इससे समुद्र में भारतीय नौसेना की शक्ति में जबरदस्त इजाफा होगा।

त्रिपुट श्रेणी के दो अहम युद्धपोतों का निर्माण कर रहा भारत

इसमें आधुनिक संचार और डेटा-लिंक प्रणाली, नेविगेशन उपकरण और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा भी शामिल है, जो इस जहाज को नौसैन्य संचालन के लिए एक शक्तिशाली जलयान बनाता है। इन दोनों ही श्रेणियों में से प्रत्येक में तीन-तीन जंगी जहाज हैं। तुशील श्रेणी के लिए व्यापक अनुबंध के हिस्से के रूप में भारत अपने गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में स्वयं भी रूसी पक्ष से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और डिजाइन सहायता के साथ त्रिपुट श्रेणी नाम के दो महत्वपूर्ण युद्धपोतों का निर्माण कर रहा है। भारतीय नौसेना जहाजों की इस श्रृंखला के निर्माण कार्य के पूरा होने के बाद चार विभिन्न श्रेणियों में समान क्षमताओं व उपकरणों, और हथियार तथा सेंसर में समानता वाले दस युद्धपोतों का संचालन करेगी।

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    Shivani Mishra author

    Covering stories of public interest in crime and politics now. Entertainment enthusiast over five years. Reporting across Maharashtra.और देखें

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